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मैन्युफैक्चरिंग PMI 5 महीने के उच्च स्तर पर, निर्यात ऑर्डर 2 साल में सबसे तेज: HSBC रिपोर्ट

ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकर की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्पादन क्रमिक स्तर पर बढ़ रहा है और नए ऑर्डर आने की वजह से इसमें तेज बढ़ोतरी हुई है।

Last Updated- March 01, 2024 | 9:46 PM IST
Editorial: Challenges of India's manufacturing sector, over-regulation and the trap of small plants भारत के विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियां, अति नियमन और छोटे संयंत्रों का जाल

नए निर्यात ऑर्डर मिलने और कीमतों का दबाव कम होने के कारण फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र को गति मिली है। शुक्रवार को एचएसबीसी द्वारा जारी सर्वे के मुताबिक विनिर्माण क्षेत्र के पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) का आंकड़ा फरवरी में 5 माह के उच्च स्तर 56.9 पर पहुंच गया है, जबकि जनवरी में यह 56.5 था।

ग्लोबल इन्वेस्टमेंट बैंकर की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘उत्पादन क्रमिक स्तर पर बढ़ रहा है और नए ऑर्डर आने की वजह से इसमें तेज बढ़ोतरी हुई है। उन्नत तकनीक और मांग की अनुकूल स्थितियों से इसे बल मिल रहा है। विनिर्माणआउटपुट 5 माह के उच्च स्तर पर है, जिसमें पूंजीगत वस्तुओं की श्रेणी ने अहम भूमिका निभाई है। इसी तरह से फैक्टरी ऑर्डर सितंबर के बाद सबसे तेजी से बढ़े हैं और यह दीर्घावधि औसत से ऊपर रहा है। फर्मों ने संकेत दिए हैं कि मार्केटिंग की कवायदें जारी रखने का लाभ मिला है और इसे मांग के सकारात्मक वातावरण का समर्थन मिला है।’

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नए निर्यात ऑर्डर करीब दो साल में सबसे तेज दर से बढ़े हैं। ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोप, इंडोनेशिया, अमेरिका और यूएई मांग में वृद्धि के स्रोत रहे हैं। फरवरी लगातार 32वां महीना है, जब सूचकांक 50 से ऊपर है। सर्वे में 50 से ऊपर के आंकड़े विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार और इससे नीचे संकुचन के संकेतक होते हैं।

ताजा पीएमआई आंकड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी आंकड़ों के एक दिन बाद आए हैं, जिनसे पता चलता है कि भारत की जीडीपी की वृद्धि दर अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी रही है, जिसमें विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर लगातार दूसरी तिमाही में दो अंकों की रही है।

सर्वे से यह भी पता चलता है कि कच्चे माल की मांग में सुधार से इनपुट के भंडारण बनाने में मदद मिली है। वहीं आपूर्ति की डिलिवरी का वक्त व्यापक तौर पर स्थिर रहा है। इसके साथ ही खरीद लागत से जुड़ी महंगाई 43 माह के निचले स्तर पर रही है और इसकी वजह से बिक्री का मूल्य कम मात्रा में बढ़ा है।

एचएसबीसी में अर्थशास्त्री इनेस लाम ने कहा कि विनिर्माण पीएमआई से संकेत मिलता है कि उत्पादन में वृद्धि मजबूती से जारी है और इसे घरेलू व विदेशी मांग से समर्थन मिला है।

उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण फर्मों का मुनाफा सुधरा है क्योंकि इनपुट लागत की महंगाई जुलाई 2020 के बाद के निचले स्तर पर है। तेज मांग और मुनाफा सुधरने के कारण भविष्य के कारोबार को लेकर विनिर्माताओं की उम्मीद बढ़ी है।’

First Published - March 1, 2024 | 9:46 PM IST

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