संसद में दिए गए एक लिखित जवाब में कहा गया है कि आगे चलकर निजीकरण विनिवेश प्राप्तियों का प्राथमिक तरीका होगा।
वित्त राज्यमंत्री भागवत किशनराव कराड ने लोकसभा में दिए गए एक लिखित जवाब में कहा कि कुछ समय से अल्पांश हिस्सेदारी की बिक्री की गुंजाइश कम हुई है।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों में सरकारी हिस्सेदारी का विनिवेश मोटे तौर पर बाजार की धारणा, निवेशक की रुचि और उनके स्टॉक के बाजार मूल्यांकन पर निर्भर करता है। सदन में मंत्री द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 से 2020-21 के दौरान केंद्र की कुल प्राप्तियों में विनिवेश से मिली प्राप्तियों का हिस्सा 0.95 फीसदी से 4.68 फीसदी रहा था।
आंकड़ों से पता चलता है कि इतने वर्षों में 0.95 फीसदी का सबसे कम स्तर 2020-21 के दौरान का है जबकि 4.68 फीसदी का सबसे उच्च स्तर 2017-18 के दौरान का है।
उन्होंने कहा कि 2020-21 में विनिवेश प्राप्तियों के लिए संशोधित अनुमान 32,000 करोड़ रुपये का था। 31 मार्च, 2021 तक सरकार को 32,845 करोड़ रुपये विनिवेश प्राप्ति के तौर पर हुआ जो कि 2020-21 के संशोधित अनुमान का करीब 103 फीसदी है। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 की वजह से बाजार में उतार चढ़ाव की बनी परिस्थितियों के कारण 2020-21 के लिए संशोधित अनुमान बजट अनुमानों से काफी कम रहा था।’ सरकार ने उस साल विनिवेश से 2.1 लाख करोड़ रुपये जुटाने का अनुमान लगाया था जिसमें से 90,000 करोड़ रुपये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के विनिवेश से जुटाया जाना था।
जीएसटी मुआवजा
वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में कहा कि मुआवजा फंड से जारी रकम और एक के बाद एक दिए गए ऋण के बाद 2020-21 के लिए राज्यों का 37,134 करोड़ रुपये का वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) मुआवजा और चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए 14,664 करोड़ रुपये का जीएसटी मुआवजा लंबित था।
उन्होंने कहा कि केंद्र राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जीएसटी (राज्यों को क्षतिपूर्ति) अधिनियम, 2017 के मुताबिक जीएसटी मुआवजे का पूरा पैसा देने के लिए प्रतिबद्घ है। इसके लिए राजस्व की कमी को पूरा करने के साथ साथ विशेष खिड़की योजना के जरिये लिए ऋण को चुकता करने के लिए क्षतिपूर्ति उपकर की वसूली की समयसीमा को पांच वर्ष से आगे बढ़ाया जाएगा।
राजकोषीय परिषद
वित्त मंत्रालय ने राजकोषीय परिषद के गठन से इनकार किया है। उल्लेखनीय है कि राजकोषीय जिम्मेदारी और बजट प्रबंधन पर एन के सिंह समिति ने इसके गठन की सिफारिश की थी। चौधरी ने निम्र सदन में दिए अपने लिखित जवाब में कहा कहा, ‘नहीं, महोदय’। उन्होंने कहा कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी), राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग, वित्त आयोग आदि जैसी संस्थाएं राजकोषीय परिषद के लिए एफआरबीएम समीक्षा समिति द्वारा प्रस्तावित कुछ या सभी भूमिकाएं निभा रही हैं।
