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कम जोखिम वाली संपत्तियां आकर्षक

Last Updated- December 12, 2022 | 1:37 AM IST

केंद्र सरकार की राष्ट्रीय मुद्रीकरण योजना (एनएमपी) परिचालन वाली परियोजनाओं का लाभ उठाने पर केंद्रित है, उनकी सार्वजनिक निजी हिस्सेदारी में संविदा संबंधी मामलों और नियामकीय निगरानी के परीक्षण से गुजरना पड़ सकता है। बहरहाल नई परियोजनाओं में निवेश से जुड़े जोखिम को पूंजी की लागत में कमी करके समायोजित करने की कवायद की गई है। 
 
हिताची एबीबी पॉवर ग्रिड्स में भारत और दक्षिण एशिया के मुख्य कार्याधिकारी एन वेणु के मुताबिक संपत्ति मुद्रीकरण योजना में निवेश को लेकर भारतीयों में भूख थी। बहरहाल दस्तावेजों में ही माना गया है कि ‘एनएमपी को सफलतापूर्वक लागू किया जाना प्रभावी प्रशासनिक ढांचे के साथ प्रगति की समयानुसार निगरानी के ढांचे पर निर्भर है।’ जे सागर एसोसिएट्स में संयुक्त प्रबंध साझेदार अमित कपूर ने कहा कि पहले पीपीपी में नई और मौजूदा संपत्तियां दोनों ही थीं, जबकि मौजूदा में यह मौजूदा संपत्तियों तक सीमित है, जिससे निर्माण संबंधी  जोखिम कम होता है। उन्होंने कहा, ‘मालिकाना सरकारी उद्यम के पास बना रहेगा, लेकिन परिचालन, रखरखाव, पुराने को दुरुस्त करने आदि का काम एक निश्चित अïवधि तक के लिए हस्तांतरित किया जा सकता है। ऐसे में ज्यादा पूंजी लगाकर इसमें आने की बाधा दूर कर दी गई है।’  
 
बहरहाल निजी ऑपरेटरों के सामने मात्रा को लेकर चुनौती बनी रहेगी, जब अर्थव्यवस्था सुस्त है। हालांकि एक निजी कंस्ट्रक् शन कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनएमपी में पीपीपी का बेहतर ढांचा बनाया गया है। शुरुआती पीपीपी ढांचा तैयार करने में शामिल रहे पूर्व वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने कहा कि रणनीति पत्र में मौजूदा मसलों से निपटने की कवायद की गई है। 
 
कपूर ने कहा, ‘सरकारी उद्यमों को दी जा रही सुविधा/संपत्ति के मामले में कुछ जोखिमों पर विचार किया जाना चाहिए, जहां कर्ज संबंधी जोखिम, बदलते कानून को लेकर अनुपालन जोखिम (जैसे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण कानून, कर कानून), फोर्स मेजर का जोखिम और परियोजना के जीवन काल और क्षमता को लेकर जोखिम शामिल है।’ 
 

First Published - August 24, 2021 | 11:16 PM IST

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