सरकार ने अपने ग्राहकों को जानें (केवाईसी) के एकसमान मानकों के लिए वित्त सचिव टीवी सोमानथन की अध्यक्षता में समिति गठित की है। यह समिति इस मुद्दे पर अपनी सिफारिशें देगी। दरअसल वित्तीय स्थायित्व और विकास परिषद (एफएसडीसी) ने एक दिन पहले ही एक समान केवीईसी का प्रस्ताव पेश किए जाने पर चर्चा की थी।
वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘समिति गठित कर दी गई है और विभिन्न सरकारी विभाग व एफएसडीसी के सदस्य इसके सदस्य होंगे।’ समिति एफएसडीसी के सभी सदस्यों से केवाईसी मानदंडों पर विचार आमंत्रित करेगी। उदाहरण के तौर पर कॉरपोरेट मामलों का मंत्रालय सामान्य रूप से पहचान के लिए स्थायी पहचान संख्या (पैन) के इस्तेमाल पर अपने अनुभव साझा करेगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने कंपनियों के लिए पैन को अपनाया है और इसका पूरी तरह पालन किया जा रहा है। विभिन्न प्राधिकरणों के लिए केवाईसी की जरूरत अलग हो सकती है लेकिन यह सामान्य पहचान में मददगार हो सकती है।’
अधिकारी ने कहा कि यदि किसी निकाय या कंपनी को आगाह किया गया है तो इसकी सुरक्षा मजबूत करने के लिए तरीका होगा।
एफएसडीसी ने बीते सप्ताह हुई अपनी 28वीं बैठक में पूरे वित्तीय क्षेत्र के लिए एक समान केवाईसी मानदंडों और केवाईसी के आंकड़ों के परस्पर इस्तेमाल पर चर्चा की थी। परिषद ने वित्तीय क्षेत्र के लिए केवाईसी डिजिटिलाइज और आसान बनाने की रणनीति बनाने की वकालत की थी।
इस बैठक में वित्तीय क्षेत्र के लिए बढ़ती विनियामकीय जांच खासतौर पर पेटीएम पेमेंट बैंक में केवीईसी और अन्य मानदंडों के पालन नहीं करने के मुद्दे पर सख्ती को लेकर यह बैठक महत्त्वपूर्ण हो गई।
सरकार ने शीर्ष निकाय एफएसडीसी का गठन किया था। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री करती हैं। इसके सदस्यों में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर, वित्त सचिव और/ या आर्थिक मामलों विभाग के सचिव, वित्तीय सेवाओं विभाग के सचिव, मुख्य आर्थिक सलाहकार, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के चेयरमैन, बीमा नियामक और विकास बोर्ड और उसके चेयरमैन, पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण हैं।
एफएसडीसी सुपर विनियामक की तरह भूमिका निभाती है। इसके सदस्यों में वित्तीय नियामकों के सदस्य होते हैं। एफएसडीसी वित्तीय स्थायित्व, अंतर विनिमयन समन्वय आदि मुद्दों दर कार्य करती है।