नई औपचारिक नौकरियों का सृजन दिसंबर में कम हुआ है और यह लगातार तीसरे महीने 10 लाख से कम है। सोमवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ओर से जारी आंकड़ों से रोजगार के बाजार में दबाव का पता चलता है।
कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) के नए मासिक सबस्क्राइबरों की संख्या दिसंबर में 14.5 प्रतिशत घटकर 8,02,250 रह गई है, जो नवंबर में 9,37,780 थी। अक्टूबर में महज 7,80,170 सबस्क्राइबर ईपीएफ में शामिल हुए थे, जो मई 2021 के बाद का सबसे कम मासिक पंजीकरण था।
इसके पहले वित्त वर्ष 23 में मासिक नए सबस्क्राइबरों की संख्या अप्रैल से सितंबर तक लगातार 6 महीने 10 लाख से ऊपर बनी हुई थी। जुलाई में संख्या 11,59,350 के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी।
पेरोल की संख्या में शुद्ध बढ़ोतरी की गणना नए सबस्क्राइबरों की संख्या, इससे बाहर हुए लोगों की संख्या और पुराने सबस्क्राइबरों की वापसी के आधार पर किया जाता है। इस हिसाब से दिसंबर में 7.7 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है और संख्या 14,93,031 हो गई है, जो नवंबर में 13,85,923 थी।
बहरहाल शुद्ध मासिक पेरोल के आंकड़े अनंतिम प्रकृति के हैं और इसमें अक्सर अगले महीने तेज बदलाव हो जाता है। यही वजह है कि नए ईपीएफ सबस्क्राइबरों के आंकड़ों की विश्वसनीयता शुद्ध बढ़ोतरी की तुलना में अधिक होती है।
दिसंबर में शामिल किए गए नए सबस्क्राइबरों में 18 से 25 साल की उम्र के लोगों की संख्या 4,46,358 है, जो नवंबर के 5,28,484 की तुलना में 15.5 प्रतिशत कम है। यह आंकड़े अहम होते हैं क्योंकि 18 से 25 साल के उम्र में सामान्यतया श्रम बाजार में आए नए लोग होते हैं और इससे तेजी का पता चलता है।
नए पुरुष सबस्क्राइबरों की संख्या 14.9 प्रतिशत गिरी है, जबकि महिला सबसक्राइबरों की संख्या इसकी तुलना में कम यानी 12.9 प्रतिशत गिरी है।
अपनी तरफ से सर्वे कराने वाले सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर महीने में भी नौकरियों का कमजोर प्रदर्शन जारी रहा है और बेरोजगारी दर दिसंबर में बढ़कर 8.30 प्रतिशत हो गई है, जो नवंबर में 8.03 प्रतिशत थी।
सीएमआईई के मुताबिक शहरी बेरोजगारी बढ़ने की वजह से ऐसा हुआ है। मुख्य रूप से ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि श्रम बल बढ़ा है, लेकिन अर्थव्यवस्था में पर्याप्त नौकरियों का सृजन नहीं हुआ है।