चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कोविड की दूसरी लहर के बावजूद नौ संगठित गैर-कृषि क्षेत्रों ने सात साल पहले की तुलना में 29 फीसदी ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया कराया। नए आधिारिक रोजगार सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है।
हालांकि नए रूप में पेश किए गए पहले तिमाही रोजगार सर्वेक्षण (क्यूईएस) के मुताबिक दो सेवा क्षेत्र – व्यापार और आतिथ्य (होटल, रेस्तरां और लॉज) – कोविड की दूसरी लहर से बुरी तरह प्रभावित हुए और इस दौरान उनमें रोजगार क्रमश: 25 फीसदी और 13 फीसदी घटे। दूसरी तरफ अन्य सेवा क्षेत्र आईटी एवं बीपीओ ने 152 फीसदी ज्यादा लोगों की नियुक्तियां कीं, जबकि स्वास्थ्य क्षेत्र ने 77 फीसदी ज्यादा लोगों को रोजगार दिया। इनके बाद परिवहन में 68 फीसदी, वित्तीय सेवाओं में 48 फीसदी और शिक्षा में 39 फीसदी ज्यादा नौकरियां मिलीं। यह सर्वेक्षण श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने पेश किया। उद्योगों की बात करें तो निर्माण क्षेत्र में रोजगार 42 फीसदी और विनिर्माण क्षेत्र में 22 फीसदी बढ़ा। श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि गैर-कृषि प्रतिष्ठानों के कुल रोजगार में ज्यादा हिस्सा इन क्षेत्रों का है।
सर्वेक्षण के इन आंकड़ों की तुलना 2013-14 में आयोजित छठी आर्थिक गणना से की जा सकती है। लेकिन वह तिमाही सामान्य वर्ष की थी, जबकि हाल की तिमाही कोविड प्रभावित रही है। अगर यह मानते हैं कि वृद्धि दर में समान रूप से वृद्धि हुई तो सालाना वृद्धि दर चार फीसदी से कुछ अधिक आती है।
पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद और अब इंटरनैशनल ग्रोथ सेंटर (आईजीसी) के भारत कार्यक्रम के प्रमुख प्रणव सेन विनिर्माण क्षेत्र द्वारा मुहैया कराए गए रोजगार के आंकड़ों पर अंचभित दिखे। सेन ने कहा, ‘विनिर्माण दोनों घटनाक्रमों (नोटबंदी और कोविड की वजह से लगाए गए लॉकडाउन) से प्रभावित हुआ था। क्यूईएस के नतीजे थोड़ा अचंभित करते हैं। यह कैसे संभव है?’ उन्होंने कहा कि आईटी/बीपीओ द्वारा सृजित रोजगार मेंं भारी बढ़ोतरी और व्यापार एवं रेस्तरां में रोजगार में गिरावट के आसार पहले ही नजर आ रहे थे।
श्रम मंत्री ने कहा कि यह सर्वेक्षण अप्रैल 2021 के बाद किया गया। उस समय कोविड-19 की दूसरी लहर अपने चरम पर थी। इसी वजह से कारोबार एवं आतिथ्य क्षेत्रों में रोजगार सृजन में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि हालांकि वित्तीय सेवाओं में 48 फीसदी इजाफा हुआ है और 9 में से 7 क्षेत्रों ने वृद्धि दर्ज की है। अगर हम 2013-14 के बाद की अवधि को देखते हैं तो पता चलता है कि ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में नौकरियां बढ़ी हैं।
यादव ने कहा, ‘सरकार साक्ष्य आधारित नीति और सांख्यिकी आधारित क्रियान्वयन के लिए प्रतिबद्ध है। इन दो बातों से हर सर्वेक्षण एवं आंकड़े पर आधारित नीति-निर्माण में मदद मिलेगी। आंकड़ों की समग्रता और शुद्धता इतनी अहम है कि इनकी दोबारा जांच भी जा सकती है।’