केंद्रीय वित्त मंत्री ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 के बावजूद निवेशकों का भारत की वृद्धि में भरोसा बरकरार है। उन्होंने अपने दावों को सही साबित करने के लिए विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई), प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजारों के आंकड़े पेश किए।
वित्त मंत्रालय ने नई दिल्ली में एक बयान में कहा, ‘भारत की वृद्धि का दायरा लगातार बढ़ रहा है। इसे एफपीआई, एफडीआई और कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार के प्रवाह के रुझान प्रदर्शित करते हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती और गिरकर संभलने की क्षमता में निवेशकों के भरोसे को रेखांकित करते हैं। ‘
मंत्रालय ने कहा कि कोविड-19 से विश्व की सभी अर्थव्यवस्थाओं में निवेश का माहौल बुरी तरह प्रभावित हुआ है, जिससे हर जगह मांग और आपूर्ति के संतुलन में तेज गिरावट आई है।
मंत्रालय ने कहा, ‘भारत इस अप्रत्याशित आर्थिक झटके का कोई अपवाद नहीं रहा है। फिर भी विश्वव्यापी महामारी से प्रभावित होने के बावजूद सरकार के समय-समय पर और सक्रिय हस्तक्षेप से भारतीय अर्थव्यवस्था मेंं निवेश का माहौल उत्साहजनक है।’
एफपीआई
मंत्रालय ने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में एफपीआई आवक में अहम बढ़ोतरी हुई है, जिसमें इक्विटी आवक की प्रमुख भूमिका रही। एफपीआई आवक 28 नवंबर तक 62,782 करोड़ रुपये थी। इसमें इक्विटी आवक 60,358 करोड़ रुपये और डेट एवं हाइब्रिड इंस्ट्रुमेंट में शुद्ध एफपीआई निवेश 2,424 करोड़ रुपये रहा। जब से नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिटिमेड ने एफपीआई के आंकड़े उपलब्ध कराना शुरू किया है, उसके बाद इस साल नवंबर में इक्विटी में सबसे ज्यादा एफपीआई आया है। कुल एफपीआई निवेश में सबसे अधिक आवक 12 नवंबर को हुई। उस एक दिन में 11,056 करोड़ रुपये का एफपीआई आया।
एफडीआई
इस रास्ते चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कुल आवक 28.10 अरब डॉलर रही, जिसमें इक्विटी में आवक 23.44 अरब डॉलर रही। इससे चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल एफडीआई इक्विटी आवक 30 अरब डॉलर हो गई। यह 2019-20 की इसी अवधि की तुलना में 15 फीसदी अधिक है। अगस्त एक अहम महीना रहा है, जिसमें देश के इक्विटी क्षेत्र में 17.49 अरब डॉलर एफडीआई आया। एफडीआई इक्विटी आवक और कुल एफडीआई आवक पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रही है। वर्ष 2019-20 में पिछले छह साल में सबसे अधिक एफडीआई आया। मंत्रालय ने कहा, ‘एफडीआई नीति सुधार, निवेश सुविधा एवं कारोबारी सहूलियत से देश में एफडीआई आवक में बढ़ोतरी हुई है।’
कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार
मंत्रालय ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में कुल 4.43 लाख करोड़ रुपये के कॉरपोरेट बॉन्ड जारी हुए हैं। यह पिछले साल की इसी अवधि के बॉन्डों 3.54 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 25 फीसदी अधिक हैं। कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी बॉन्डों के बीच घटता अंतर इस बात का सबूत है कि कॉरपोरेट बॉन्डों को लेकर जोखिम धारणा में सुधार हुआ है। इसने कहा, ‘आरबीआई के मौद्रिक नरमी और नकदी झोंकने से सरकार और कंपनियों के लिए धन की लागत कम हुई है। इससे डेट बाजारों के विभिन्न खंडों में प्रतिफल नीचे आया है।’
