वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार से निर्यात केंद्रित इकाइयों (ईओयू) और विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के लिए रेमिशन ऑफ ड्यूटीज ऐंड टैक्सेज ऑन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट (आरओडीटीईपी) जैसी निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजना को सितंबर के अंत तक बढ़ाने की मांग की है।
इस समय घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) या घरेलू बाजार से निर्यात के लिए आरओडीटीईपी योजना 30 सितंबर तक लागू है। हालांकि एसईजेड, ईयोयू और एडवांस अथराइजेशन (एए) धारकों के लिए यह योजना 31 दिसंबर को खत्म हो गई है।
आरओडीटीईपी योजना के तहत भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यातकों को इनपुट पर भुगतान किए गए अंतर्निहित गैर-क्रेडिट योग्य केंद्रीय, राज्य और स्थानीय शुल्क को वापस किया जाता है। यह योजना 2021 में शुरू की गई। इसे 1 मार्च, 2024 से अतिरिक्त निर्यात क्षेत्रों- एसईजेड, ईओयू और एए धारकों तक बढ़ाया गया ताकि ‘अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने में निर्यातकों की मदद की जा सके’।
ईओयू और एसईजेड (ईपीसीईएस) के लिए निर्यात संवर्धन परिषद ने व्यय एवं वाणिज्य सचिव को लिखे पत्र में कहा है कि आरओडीटीईपी के लाभ निर्यातकों के एक तबके ईओयू, एसईजेड और एए धारकों को न दिए जाने का कोई तर्क नहीं है।
ईपीसीईएस ने यह भी उल्लेख किया है कि बजट की कमी की स्थिति में निर्यातकों के एक छोटे तबके को लाभ से वंचित किए जाने के बजाय, आरओडीटीईपी योजना को सीमित क्षेत्रों व उत्पादों तक सीमित किया जा सकता है।
विशेषकर आरओडीटीईपी के अंतर्गत ईओयू और एसईजेड को कवर करने के लिए बजट की जरूरत सीमित है, क्योंकि ईओयू और एसईजेड से होने वाला निर्यात, कुल वस्तु निर्यात का लगभग 15 प्रतिशत है। निर्यात संवर्धन परिषद ने यह भी सुझाव दिया है कि बजट की कमी की स्थिति में सभी निर्यातकों को सिर्फ 31 मार्च तक के लिए इसमें शामिल किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2025 के केंद्रीय बजट में आरओडीटीईपी योजना के लिए 16,575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।