अमेरिका को भारत यह समझाने का प्रयास करेगा कि निर्यात को बढ़ावा देने वाली योजना निर्यात उत्पादों पर शुल्कों या करों की छूट का दावा (RoDTEP) विश्व व्यापार संगठन (WTO) के सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं है।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमेरिका के बीते दिनों RoDTEP के जवाब में कुछ भारतीय उत्पादों पर प्रतिकारी या गैर सब्सिडी शुल्क लगाने के बाद भारत यह कदम उठाएगा। भारत ने जनवरी, 2021 में निर्यात को बढ़ावा देने के लिए RoDTEP योजना शुरू की थी।
प्रतिकारी (काउंटरवेलिंग) शुल्क आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है ताकि किसी चुनिंदा देश के निर्यातकों को मिलने वाली सब्सिडी को समयोजित किया जा सके।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘अमेरिका के संदर्भ में… हमारा उनके साथ क्षेत्रीय सहयोग समझौता है। हमारे अलग-अलग मंच हैं और हम इन मुद्दों पर चर्चा करेंगे। हमने डब्ल्यूटीओ के लंबित मुद्दों को उनसे सौहार्दपूर्ण तरीके से हल किया। यह मुद्दे परस्पर आदान – प्रदान और सहयोग के सिद्धांत पर आधारित थे। लिहाजा हम अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष इन मुद्दों को फिर उठाएंगे। मेरा सोचना है कि हम उन्हें आरओडीटीईपी को डब्ल्यूटीओ सिद्धांत के खिलाफ नहीं होने का यकीन दिला सकते हैं।’
आरओडीटीईपी योजना तीन वर्ष पहले लागू हुई थी। इस योजना में निर्यातकों को लागत पर लगे केंद्र, राज्य और स्थानीय गैर क्रेडिट योग्य शुल्कों को वापस किया जाता है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने आरओडीटीईपी योजना शुरू की थी और यह भारत की वस्तु निर्यात योजना (एमईआईएस) के स्थान पर लाई गई थी। दरअसल, डब्ल्यूटीओ ने अपने फैसले में कहा था कि यह योजना व्यापक स्तर पर वस्तुओं के निर्यात पर सब्सिडी मुहैया करवाकर वैश्विक कारोबारी निकाय के उपबंधों का उल्लंघन करती है।
आरओडीटीईपी योजना निर्यातकों को सब्सिडी मुहैया कराने का मामला नहीं है बल्कि उन्हें करों और शुल्कों की वापसी की जाती है। यह कर और शुल्क उन्हें किसी अन्य वैकल्पिक तरीके से वापस नहीं किए जाते हैं।
अधिकारी ने बताया, ‘सरकार ने व्यापक स्तर पर निर्देश दिया है कि हम प्रोत्साहन देने से दूर जा रहे हैं और हम इसे कम करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं। निर्यात में यह धारणा चलती है कि आप करों का निर्यात नहीं कर सकते हैं। डब्ल्यूटीओ के अनुरूप उद्योग की मदद करने का एकमात्र प्रस्ताव यह है कि अगर उद्योग में सीमा शुल्क के अलावा शुल्क, कर या सरचार्ज लगते हों और उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है तो ऐसे उद्योगों की मदद की जा सकती है। लिहाजा हम ऐसे ही उद्योगों की मदद कर रहे हैं। लिहाजा हमारे नजरिए से आरओडीटीईपी पूरी तरह डब्ल्यूटीओ के पूरी तरह अनुरूप है।’
वाणिज्य मंत्रालय के तहत विदेश व्यापार महानिदेशालय और व्यापार उपचार महानिदेशालय यह जागरूकता करने का प्रयास कर रहे हैं कि अन्य देशों के अधिकारियों के समक्ष किस तरह के दस्तावेज की जरूरत होती है। इसके अलावा सरकार यह भी कार्य कर रही है कि भारत के निर्यातकों को जरूरत पड़ने पर अमेरिका के अधिकारियों के समक्ष पेश करने के लिए किस तरह के दस्तावेजीकरण करना चाहिए।