अर्थव्यवस्था

चीन की स्थिति पर भारतीय निर्यातकों की नजर

विश्व व्यापार संगठन ने चीन से सांस संबंधी बीमारी के तेजी से फैलने के बारे में और जानकारी मांगी है। यह बीते सप्ताह से वैश्विक मुद्दा बन चुका है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- November 28, 2023 | 10:08 PM IST

भारत के निर्यातक चीन में सांस की बीमारी से संबंधित मामले तेजी से बढ़ने के कारण स्थिति पर करीब नजर रख रहे हैं। दरअसल, चीन पर स्वास्थ्य आपातकाल का खतरा मंडराने लगा है। निर्यातकों को यह संशय है कि अगर चीन में स्थिति बदतर होती है तो इसका व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

भारत के कई उद्योग चीन पर आश्रित हैं और कच्चे माल के लिए इस पड़ोसी देश पर निर्भर हैं। भारत के सबसे बड़े इस आयातक देश में स्थितियां और खराब होने से व्यापार पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यह प्रभाव खासतौर पर तब पड़ेगा जब भूराजनीतिक तनाव और महंगाई जैसे व्यापक आर्थिक कारकों से वैश्विक व्यापार सुस्त हुआ है। भारत का चौथा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य चीन है।

विश्व व्यापार संगठन ने चीन से सांस संबंधी बीमारी के तेजी से फैलने के बारे में और जानकारी मांगी है। यह बीते सप्ताह से वैश्विक मुद्दा बन चुका है। रॉयटर्स ने मंगलवार को चीन में बच्चों को अज्ञात निमोनिया होने की जानकारी दी थी। यह जानकारी उभरते रोगों के निरीक्षण कार्यक्रम की रिपोर्ट के हवाले से दी गई थी।

विश्व की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था सुस्ती का सामना कर रही है और रियल एस्टेट मार्केट के संकट से गुजर रही है। ऐसे में बच्चों को अज्ञात रोग की सूचना ने स्थिति को और खराब बना दिया है।

भारतीय निर्यातक संगठनों के संघ (फियो) के महानिदेशक व मुख्य कार्याधिकारी अजय साही ने कहा कि कई बाधाओं का सामना कर रहे वैश्विक व्यापार के लिए चीन की स्थिति गंभीर चिंता का विषय है। साही ने कहा, ‘निर्यात में खासतौर पर लोहा व स्टील, एल्युमीनियम, तांबा, इस्पात, चुनिंदा समुद्री व खाद्य जिसों के क्षेत्र इस रोग की तीव्रता व फैलने पर खासतौर पर नजर रख रहे हैं।’

भारत की इंजीनियरिंग निर्यात संवर्द्धन परिषद के चेयरमैन अरुण गरोडिया ने कहा कि चीन में हालात जल्दी काबू नहीं आने की स्थिति में अगले महीने से इस देश के साथ भारत का व्यापार प्रभावित होना शुरू हो जाएगा।

गरोडिया ने कहा, ‘चीन की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है। यह इस देश में हमारा निर्यात गिरने से भी स्पष्ट है। चीन से इंजीनियरिंग वस्तुओं के आयात और निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। लिहाजा आने वाले समय में चीन से आयात किए जाने वाले मशीनों और औद्योगिक उपकरणों पर भी असर पड़ सकता है।’

इसी तरह वस्त्र क्षेत्र पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस उद्योग में काम कर रहे अधिकारियों के अनुसार चीन से पिगमेंट्स, पेंट टूल आदि अन्य उत्पादों का आयात किया जाता है।

हालांकि इंजीनियरिंग वस्तुओं का निर्यात अक्टूबर में सालाना आधार पर 7.2 प्रतिशत बढ़कर 8.1 अरब पर पहुंच गया जबकि चीन को होने वाला निर्यात 6.4 प्रतिशत गिरकर 21.3 करोड़ डॉलर पर पहुंच गया।

First Published : November 28, 2023 | 9:59 PM IST