अर्थव्यवस्था

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता अटकी, शुल्क बढ़ने और भू-राजनीतिक संकट से बनी नई रणनीति

भारत ने अमेरिका की शुल्क वृद्धि और व्यापार वार्ता की अनिश्चितता को देखते हुए नई रणनीति बनाई, जिसमें डेरी और जीएम फसलों पर सख्त रुख बरकरार रखा गया।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- August 17, 2025 | 9:46 PM IST

भारत इस समय कारोबारी समझौतों के नए लक्ष्य तय करने में जुट गया है। रूस से तेल आयात के कारण भारत पर अमेरिका द्वारा अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा, अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत रुकने और भू राजनीतिक जटिलताओं को देखते हुए भारत अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार कर रहा है।

भारत को उम्मीद है कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर पहले चरण की सफलता अक्टूबर-नवंबर तक मिल सकती है। हालांकि समझौता न होने की स्थिति के लिए भी सरकार तैयारियां कर रही है।

सरकार के अधिकारियों ने कहा कि भारत अभी भी अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करना चाहता है, लेकिन डेरी और जीन संवर्धित फसलों की बाजार तक पहुंच को लेकर अपने रुख पर कायम है। साथ ही ऑटोमोबाइल पर भी भारत सीमित छूट की पेशकश कर रहा है। वहीं नीति निर्माता इस हिसाब से भी तैयारी कर रहे  कि संभवतः ट्रंप के पहले के दौर की करीब शून्य शुल्क नीति की वापसी नहीं होगी, भले ही दोनों देशों के बीच समझौता हो जाए।

अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम अमेरिका के साथ कम से कम पहले चरण का समझौता करने को लेकर इच्छुक हैं।  लेकिन हम इसके लिए जीएम फसलों की अपने बाजार तक पहुंच की अनुमति नहीं दे सकते और एक सीमा से अधिक ऑटोमोबाइल पर शुल्क कम नहीं कर सकते हैं। हमने इस मसले पर एक सीमा तय कर रखी है। हमें उम्मीद है कि यह कुछ महीनों का मसला है (और समझौता मूर्त रूप ले सकता है), लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच टकराव के कारण भू राजनीतिक अनिश्चितता को देखते हुए हमें खराब से खराब स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है।’

बातचीत रुकी

भारत और अमेरिका 1 अगस्त की अंतिम तिथि के पहले अंतरिम समझौते को अंतिम रूप देने में विफल रहे। ट्रंप द्वारा जल्द समझौता होने की टिप्पणी और 5 दौर की वार्ता के बावजूद इसका कोई परिणाम नहीं निकल सका।

सरकार से जुड़े 2 अधिकारियों ने बताया कि जुलाई में हुई बातचीत के बाद कोई प्रगति नहीं हुई है। कोई वर्चुअल बातचीत भी नहीं हुई है।

जुलाई में भारत और अमेरिका के बीच मौखिक बातचीत में छठे दौर की बातचीत के लिए 25 अगस्त को अमेरिकी अधिकारियों के भारत आने को लेकर चर्चा हुई थी।

अंतरिम या छोटे समझौते की 1 अगस्त की अंतिम तिथि बीतने के बाद अमेरिका ने भारत की वस्तुओं पर 7 अगस्त से 25 प्रतिशत कर लगाने की घोषणा कर दी।

साथ ही रूस से तेल खरीदने का आरोप लगाते हुए भारत के आयात पर 25 प्रतिशत और शुल्क लगाने की घोषणा कर दी। कुल मिलाकर 27 अगस्त से भारत पर शुल्क बढ़कर 50 प्रतिशत हो गया है।

उसके बाद 7 अगस्त को ट्रंप ने भारत के साथ व्यापार वार्ता की संभावना खारिज कर दी। एक सप्ताह बाद उपरोक्त उल्लिखित एक अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी वार्ताकारों के दल की भारत यात्रा टल गई है।

विदेश मंत्रालय ने शुल्क वृद्धि की आलोचना करते हुए कहा कि यह अनुचित, अतार्किक और बेवजह है। इधर ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादीमिर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदीमिर जेलेंस्की के साथ बात की है, जिससे रूस और यूक्रेन के बीच 3 साल से चल रहा टकराव टल सके।

आगे की राह

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि व्यापक रूप से अभी विचार यह है कि धैर्य बनाए रखा जाए और  भूराजनीतिक बदलावों पर नजर रखी जाए।

उपरोक्त उल्लिखित पहले अधिकारी ने कहा, ‘अमेरिका अन्य देशों के साथ जो समझौते कर रहा है और अमेरिका के साथ हमारे व्यापार अधिशेष को देखते हुए एक बात स्पष्ट है कि हम ट्रंप के पहले के लगभग शून्य दरों वाले दौर में वापस नहीं जा रहे हैं। अगर कोई समझौता भी होता है तो कम से कम 10 से 15 प्रतिशत कर लग सकता है।’

अभी ब्रिटेन, इंडोनेशिया, वियतनाम, जापान, फिलिपींस और यूरोपीय संघ के साथ अमेरिका समझौते को अंतिम रूप देने में सफल रहा है।  इन समझौतों के बावजूद अमेरिका ने बाजार तक व्यापक पहुंच देने के लिए इन सभी देशों पर 10 से 20 प्रतिशत कर लगा रखा है। आलोचकों का यह भी कहना है कि ये त्वरित व्यापार समझौते असंतुलित व एकपक्षीय है।

First Published : August 17, 2025 | 9:46 PM IST