भारत जब अमेरिका के साथ व्यापार समझौता करने के से जूझ रहा है, ऐसे समय में नीति आयोग के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) बीवीआर सुब्रह्मण्यम ने आज कहा कि देश की व्यापार रणनीति में पड़ोसी देशों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन सहित एशिया पर अधिक ध्यान देने के साथ-साथ पड़ोसी देशों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध कायम करने से विनिर्माण का अड्डा बनने की देश की महत्त्वाकांक्षा को पूरा करने में मदद मिल सकती है।
सुब्रह्मण्यम ने नीति आयोग की ट्रेड वॉच तिमाही रिपोर्ट जारी करने के दौरान कहा, ‘एशिया पर ध्यान देने का समय है। इससे बचा नहीं जा सकता। अगर आप चीन को ज्यादा कुछ नहीं बेच पा रहे हैं तो इस पर विचार करना होगा क्योंकि चीन 18 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था है। आपको प्रतिस्पर्धा करने और बेचने में सक्षम होना चाहिए। अगर आप प्रतिस्पर्धी हैं तो वे आपका सामान खरीदेंगे।’
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि बाजार को वैश्विक स्तर पर खुला और प्रतिस्पर्धी बनाने की जरूरत है। उन्होंने आगे कहा, ‘आपको आयात के साथ-साथ बेचने में भी सक्षम होना चाहिए। यदि आप आयात में कटौती करके घरेलू उद्योग की रक्षा करने की कोशिश करेंगे तो आप निर्यात भी नहीं कर पाएंगे और पिछड़ते चले जाएंगे। दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक चीन, दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आयातक भी है।’
सुब्रह्मण्यम ने चीन के प्रभुत्व वाले क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसेप) का जिक्र नहीं किया मगर पिछले साल नवंबर में उन्होंने भारत को आरसेप और ट्रांस-पैसिफिक पार्टनरशिप के लिए व्यापक एवं प्रगतिशील समझौते में शामिल होने की वकालत की थी। हालांकि वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल कहते रहे हैं कि भारत का आरसेप में शामिल होने का कोई इरादा नहीं है।
सुब्रह्मण्यम ने कहा कि ज्यादातर देश अपने पड़ोसियों के साथ अधिक व्यापार करते हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘यह दुर्भाग्य की बात है कि हम बेहद कठिन भौगोलिक क्षेत्र में हैं। लेकिन अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार कौन है?
मेक्सिको और कनाडा। यह स्वाभाविक है। पूरा यूरोपीय संघ अपने भीतर ही 50 फीसदी व्यापार करता है। बांग्लादेश हमारा छठा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, नेपाल पहले शीर्ष 10 में हुआ करता था। अगर आपके पास मजबूत पड़ोसी व्यापार तंत्र नहीं है तो आप वास्तव में नुकसान में हैं।’
अमेरिका के साथ चल रहे व्यापार वार्ता पर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि दोनों देशों के बीच जल्द ही व्यापार समझौता हो जाएगा। भारतीय वस्तुओं पर अमेरिका में 50 फीसदी शुल्क के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर, सुब्रह्मण्यम ने कहा, ‘व्यापार चैनल बनाना मुश्किल है और नया आपूर्तिकर्ता तलाशना भी मुश्किल है, क्रिसमस तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।’ हालांकि उन्होंने कहा कि अगर भारत और अमेरिका में व्यापार करार नहीं होता है तो आगे समस्या हो सकती है।
नीति आयोग की व्यापार रिपोर्ट दर्शाती है कि भारत प्रमुख फुटवियर लागत पर लगभग 10 फीसदी शुल्क लगाता है जबकि वियतनाम और इटली में दरें लगभग शून्य हैं जिससे वियतनाम को लागत लाभ मिलता है तथा भारत की सोर्सिंग के लिए आयात पर निर्भरता तथा उच्च शुल्क इसे कम टैरिफ वाले देशों की तुलना में कम प्रतिस्पर्धी बनाते हैं।