प्रतीकात्मक तस्वीर | फोटो क्रेडिट: Pexels
जनवरी में भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 22.99 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जो दिसंबर में 21.94 अरब डॉलर था। जनवरी में निर्यात 36.43 अरब डॉलर रहा, जो दिसंबर 2024 में 38.01 अरब डॉलर था। वहीं, महीने के दौरान आयात 59.42 अरब डॉलर रहा, जबकि दिसंबर में यह 59.95 अरब डॉलर था।
गौरतलब है कि भारत ने सोमवार को ही अमेरिका से अधिक औद्योगिक वस्तुएं खरीदने को लेकर घोषणा की है। यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के कुछ दिनों बाद आई है।
वाणिज्य सचिव सुनील बार्थवाल ने नई दिल्ली में पत्रकारों को बताया, “इलेक्ट्रॉनिक्स सामान निर्यात को बढ़ावा दे रहे हैं, इसके बाद दवाएं, फार्मास्यूटिकल्स और चावल प्रमुख योगदान दे रहे हैं।”
जनवरी में सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर) का निर्यात अनुमानित रूप से 38.55 अरब डॉलर और आयात 18.22 अरब डॉलर रहा, जबकि दिसंबर में यह क्रमशः 32.66 अरब डॉलर और 17.50 अरब डॉलर था।
यह मासिक डेटा मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद सामने आया है, जब दोनों देशों ने टैरिफ (tariffs) से जुड़े मुद्दों को हल करने पर सहमति जताई और भारत ने अधिक अमेरिकी तेल, गैस और सैन्य उपकरण खरीदने का वादा किया।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह उन सभी देशों पर समान जवाबी शुल्क (reciprocal tariffs) लगाएंगे जो अमेरिकी आयात पर कर लगाते हैं, जिसमें भारत भी शामिल है, जहां टैरिफ दरें दुनिया में सबसे अधिक मानी जाती हैं। ट्रंप ने कहा कि वह भारत पर वही टैरिफ लगाएंगे, जो भारत अमेरिकी सामानों पर लगाता है।
अमेरिका का भारत के साथ 45.6 अरब डॉलर का व्यापार घाटा है। विश्व व्यापार संगठन (WTO) के आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका की व्यापार-भारित औसत टैरिफ दर (trade-weighted average tariff rate) लगभग 2.2 प्रतिशत है, जबकि भारत की औसत टैरिफ दर 12 प्रतिशत है।
वरिष्ठ भारतीय व्यापार अधिकारी राजेश अग्रवाल ने कहा कि नई दिल्ली और वॉशिंगटन ने व्यापार समझौते के पहले चरण पर बातचीत के लिए एक “सख्त” समयसीमा तय करने पर सहमति व्यक्त की है और अमेरिकी औद्योगिक वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाने के तरीकों की तलाश करेंगे।
उन्होंने कहा कि भारत व्यापार वार्ता के दौरान टैरिफ को कम करने और कुछ क्षेत्रों में अमेरिका से छूट की मांग करेगा।
जनवरी में भारत का सोने का आयात घटकर 2.68 अरब डॉलर रह गया, जो पिछले महीने दिसंबर में 4.7 अरब डॉलर था, जबकि कच्चे तेल (crude oil) का आयात घटकर 13.4 अरब डॉलर रह गया, जो दिसंबर में 15.2 अरब डॉलर था।
दिसंबर में, भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने मासिक आयात आंकड़ों को सही करने के लिए कदम उठाए, जिसमें अप्रैल से नवंबर तक सोने जैसे कीमती धातुओं के आयात की दोहरी गणना (double counting) के कारण एक अभूतपूर्व गलती का पता चला था।