अफ्रीकी देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के एक महत्वपूर्ण कदम के तहत भारत ने 34 देशों को शुल्क मुक्त तरजीही बाजार की पहुंच की सुविधा देने की घोषणा की है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आज इन देशों के साथ शुल्क मुक्त तरजीही बाजार योजना की घोषणा में 50 अल्पविकसित देश (एलडीसी) शामिल हैं। इनमें 34 देश खनिज एवं तेल के लिहाज से धनी अफ्रीका में आते हैं जिनके साथ भारत अपने भागीदारी को बढ़ाना चाह रहा है।
एलसीडी के लिए शुल्कमुक्त तटकर तरजीही योजना के तहत भारत इस तरह के सभी 50 देशों को निर्यात के लिए एकतरफा तरजीही बाजार पहुंच उपलब्ध कराएगा। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यहां भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन का उद्धाटन करते हुए यह घोषणा की।
इस कार्यक्रम में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी और कैबिनेट मंत्रियों के साथ-साथ 8 अफ्रीकी देशों के प्रमुख और 14 अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधि शामिल थे। प्रधानमंत्री की इस घोषणा का गर्मजोशी के साथ स्वागत किया गया। अफ्रीकी देशों के सभी प्रतिनिधियों ने अपने वक्तव्य में इसकी प्रशंसा की।
इस योजना में भारत के कुल तटकर सीमा का 94 प्रतिशतें शामिल होगा। विशेषकर तटकर सीमा पर तरजीही बाजार पहुंच उपलब्ध कराने में जिसका सभी एडीसी के वैश्विक निर्यात में 92.5 प्रतिशत हिस्सा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत जिन सामानों में शुल्क राहत दी गई है, इसमें काटन, कोका, अल्युमिनियम अयस्क, तांबा अयस्क, काजू, गन्ने की चीनी, तैयार गारमेंट्स, मछलियां और गैर औद्योगिक हीरे शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि सरकार की यह इच्छा है कि अफ्रीकी देशों के साथ वर्तमान 2.15 अरब डॉलर के व्यापार को बढ़ाकर पांच साल में दोगुना यानी 5.4 अरब डॉलर किया जाए। इसके साथ ही नई दिल्ली की इच्छा है कि अगले पांच साल में 50 करोड़ डॉलर का निवेश इन देशों में मानव संसाधन विकास पर किया जाए।
उन्होंने कहा कि भारत अंतरराष्ट्रीय कारोबार के विकास डाइमेंशन की महत्ता को पहचानता है और उक्त घोषणाएं इसके मद्देनजर ही की गई हैं। सम्मेलन में भाग ले रहे अफ्रीकी देशों के राज्याध्यक्षों एवं राष्ट्राध्यक्षों ने प्रधानमंत्री की इस घोषणा का स्वागत किया।
उन्होंने कहा कि इससे दोनों पक्षों में बहुप्रतीक्षित भागीदारी को बल मिलेगा। अफ्रीका महाद्वीप तक पहुंच बनाने की मंशा के साथ प्रधानमंत्री ने अनेक पहलों की घोषणा की। इसमें भारत की ऋण सीमा को अगले पांच साल में बढ़ाकर 5.4 अरब डॉलर करना शामिल है।
भारत ने यह भी घोषणा की कि अफ्रीका के विभिन्न इलाकों में उच्च शिक्षा, सूचना तकनीक और वोकेशनल एजूकेशन और वैज्ञानिक शोध तथा विकास के साथ साथ ऊर्जा और कृषि के क्षेत्र में भी काम किया जाएगा।प्रधानमंत्री ने इंडिया-अफ्रीका वालंटियर कार्पस नाम से युवको का संगठन स्थापित करने का भी सुझाव दिया है। यह लोक स्वास्थ्य, सूचना शिक्षा और महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करेगा।