इंडिया रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अर्थव्यवस्था में संकुचन के अनुमान को संशोधित कर इसे 11.8 फीसदी से 7.8 फीसदी कर दिया है। ऐसा एजेंसी ने कोविड के प्रभाव में आ रही कमी और साल की दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर नतीजे आने के कारण से किया है। रेटिंग और शोध एजेंसी ने उम्मीद जताई है कि मुख्यत: वित्त वर्ष 2021 का आधार कमजोर रहने के कारण वित्त वर्ष 2022 की वृद्घि दर 9.6 फीसदी रहेगी। एजेंसी ने कहा कि भले ही कोविड संबंधी चुनौतियों से उत्पन्न होने वाली परिस्थिति बड़े पैमाने पर टीकाकरण होने तक समाप्त होने वाली नहीं हैं, लेकिन शायद आर्थिक एजेंटों और आर्थिक गतिविधियों ने न केवल इसके साथ जीना सीख लिया है बल्कि धीरे धीरे कोविड के बाद की दुनिया में समायोजित हो रहे हैं।
इंडिया रेटिंग्स का अनुमान चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि नकारात्मक 7.5 फीसदी रहने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुमान के करीब है। वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में अप्रत्याशित रूप से 23.9 फीसदी का संकुचन आया था। हालांकि, दूसरी तिमाही में यह घटकर 7.5 फीसदी रह गई। यह स्तर अधिकांश विशेषज्ञों द्वारा अनुमानित स्तर से काफी कम था। इंडिया रेटिंग्स ने अब उम्मीद जताई है कि तीसरी तिमाही में जीडीपी में 0.8 फीसदी का संकुचन होगा और साल की चौथी तिमाही में यह 0.3 फीसदी बढ़ेगी। एजेंसी ने पहले अगले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही से अर्थव्यवस्था में तेजी आने का अनुमान जताया था।
एजेंसी का अनुमान है कि केंद्र का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के 7 फीसदी पर पहुंचेगी जबकि इसका बजट अनुमान 3.5 फीसदी का था। घाटा अक्टूबर में ही बजट अनुमान को पार कर चुका है। इंडिया रेंटिंग्स के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, ‘पूरे साल का घाटा अनुमान अक्टूबर में ही पार कर जाने की वजह है प्राप्तियों में कमी। अक्टूबर 2020 के अंत तक कुल प्राप्तियां बजट अनुमानों का 31.5 फीसदी थी जबकि व्यय वित्त वर्ष 2021 के बजट अनुमान का 54.6 फीसदी था।
एजेंसी ने अनुमान जताया कि खुदरा और थोक मूल्य महंगाई दर का औसत 6.8 फीसदी रह सकता है और वित्त वर्ष 2021 में नकारात्मक 0.3 फीसदी रह सकता है। सिन्हा ने कहा, ‘इंडिया रेटिंग्स मानती है कि इससे निकट भविष्य में भारतीय रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में कोई बदलाव करने के लिए बहुत कम गुंजाइश मिलेगी।
