चालू वित्त वर्ष के पांच महीनों के दौरान भारत का वित्तीय घाटा बजट अनुमान के 88 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया है।
भारत सरकार के महालेखा परीक्षक द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक वर्ष 2008 के अगस्त महीने में गैर कर राजस्व में आयी गिरावट के कारण वित्तीय घाटे में इजाफा दर्ज किया गया है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष (अप्रैल, 2008 से मार्च, 2009 तक) के दौरान कुल 1,33,287 करोड़ रुपये के वित्तीय घाटे का अनुमान लगाया था लेकिन वित्त वर्ष के पांचवे महीने में ही यह घाटा अनुमानित राशि के 88 फीसदी के स्तर पर पहुंच गयी है।
अगस्त महीने तक 1,16,890 करोड़ रुपये का वित्तीय घाटा रहा। गत वित्त वर्ष के दौरान अगस्त महीने तक यह घाटा मात्र अनुमानित घाटे के 68.5 फीसदी के स्तर तक ही पहुंच पाया था। इस साल अप्रैल से अगस्त महीने के दौरान 36,075 करोड़ रुपये की प्राप्ति गैर कर राजस्व के रूप में हुई जो कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 28,600 रुपये कम है।
सरकारी विज्ञप्ति के मुताबिक लाभांश एवं लाभ के जरिए होने वाली वसूली में कमी के कारण पिछले साल के मुकाबले इस साल के गैर कर राजस्व में कमी आयी है। गत वर्ष सरकार ने लाभ एवं लाभांश के माध्यम से बजट अनुमान के मुकाबले 142 फीसदी राजस्व की वसूली की थी लेकिन चालू वित्त वर्ष के दौरान यह वसूली बजट अनुमान के मुकाबले मात्र 44 फीसदी रही।
गैर कर राजस्व में आयी गिरावट के कारण वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान रोजकोषीय घाटा 97,879 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया जो कि पूरे वित्त वर्ष के अनुमानित घाटे से 42,700 करोड़ रुपये अधिक है।
सरकार की लाख कोशिश के बावजूद गैर योजनागत व्यय में भी पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में आयी बेतहाशा बढ़ोतरी के कारण इजाफा दर्ज किया गया है। पांच महीनों के दौरान यह व्यय 1,92,962 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है जो कि पूरे वित्त वर्ष के लिए लगाए गए अनुमान का 38 फीसदी है। चालू वित्त वर्ष के दौरान योजनागत 86,642 करोड़ रुपये रहा।