आज संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2022-23 में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 ग्रामीण वेतन में वास्तविक वृद्धि (नवंबर 2022 तक) नकारात्मक रही है। इसकी वजह बढ़ी हुई महंगाई है। इसमें उम्मीद जताई गई है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिंसों के दाम कम होने और घरेलू स्तर पर खाद्यान्न की कीमत घटने से आगे चलकर ग्रामीण वेतन में वास्तविक वृद्धि होगी।
समीक्षा में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 23 के दौरान (नवंबर 2022 तक) नॉमिनल ग्रामीण वेतन स्थिर सकारात्मक दर से बढ़ी है। कृषि क्षेत्र में सालाना आधार पर नॉमिनल वेतन वृद्धि दर पुरुषों के लिए 5.1 प्रतिशत जबकि महिलाओं के लिए 7.5 प्रतिशत थी। गैर कृषि गतिविधियों में नॉमिनल वेतन दरों में वृद्धि पुरुषों के लिए 4.7 प्रतिशत और महिलाओं के लिए 3.7 प्रतिशत थी।’
बहरहाल बढ़ी हुई महंगाई के कारण ग्रामीण वेतन में वास्तविक वृद्धि ऋणात्मक रही है। इसमें कहा गया है, ‘आगे की स्थिति देखें तो जिंसों के अंतरराष्ट्रीय दाम घटने और घरेलू बाजार में खाद्य महंगाई कम होने के कारण महंगाई कम होने की संभावना है। ऐसे में यह उम्मीद है कि इससे वास्तविक वेतन में बढ़ोतरी होगी।’
बढ़ी महंगाई शहरी लोगों की तुलना में ग्रामीणों पर ज्यादा असर डालती है, इसका उल्लेख करते हुए समीक्षा में कहा गया है कि ग्रामीण महंगाई दर इस वित्त वर्ष में पूरे साल के दौरान शहरी इलाकों की तुलना में ज्यादा बनी हुई थी। यह महामारी के वर्षों की स्थिति के विपरीत थी।
समीक्षा में कहा गया है, ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खाद्य महंगाई दर अप्रैल 2022 के 8.3 प्रतिशत के उच्च स्तर से नीचे आ गई है, क्योंकि खाद्य पदार्थों की वैश्विक कीमतें घटी हैं और कृषि में इनपुट की लागत कम हुई है। बहरहाल महंगाई में यह कमी शहरी इलाकों में ज्यादा प्रभावी रही, जो दिसंबर 2022 में घटकर 2.8 प्रतिशत पर पहुंच गई।’ इससे एक दुर्लभ अवलोकन मिलता है कि महंगाई दर ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को किस तरह प्रभावित किया है।
कृषि एवं संबंधित गतिविधियों के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि इस क्षेत्र का प्रदर्शन बेहतर रहा है। समीक्षा में जलवायु परिवर्तन के विपरीत असर, टुकड़ों में बंटे खेत, कृषि के कम मशीनीकरण, कम उत्पादकता, छिपी बेरोजगारी, बढ़ती इनपुट लागत आदि जैसी कुछ चुनौतियों पर ध्यान देने पर भी जोर दिया गया है।
समीक्षा में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को विकसित करने पर विशेष जोर दिया गया है, जिससे किसानों को बेहतर मुनाफा मिल सके, रोजगार बढ़े और निर्यात से कमाई बढ़ सके। बहरहाल मनरेगा के बारे में समीक्षा में कहा गया है कि मनरेगा के तरह किए जा रहे कार्यों की संख्या तेजी से बढ़ी है। मनरेगा गांवों में नौकरी देने वाली प्रमुख योजना है, जिसका प्रदर्शन ग्रामीण इलाकों की सेहत को दिखाता है।
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इसमें कहा गया है कि इसके तहत किए गए काम अब ‘व्यक्तिगत जमीन’ पर हो रहे हैं, जिसकी हिस्सेदारी वित्त वर्ष 15 के कुल कराए गए काम के 16 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 22 में करीब 73 प्रतिशत हो गई है। समीक्षा में कहा गया है कि इन कार्यों में परिवारों की संपत्ति बनाने वाले काम जैसे जानवरों का आवास, कृषि के तालाब बनाना, कुएं खोजना, वानिकी पौधरोपण, वर्मीकंपोस्टिंग के लिए गड्ढे तैयार करना शामिल हैं।
साथ ही कृषि को लेकर समीक्षा में कहा गया है कि वृद्धि और रोजगार को लेकर कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन अहम बना हुआ है और इस क्षेत्र में निवेश को सस्ता, समय के मुताबिक और समावेशी बनाए जाने की जरूरत है।