आयात पर लगने वाले एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) और उपकर (Cess) से होने वाली आमदनी पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जून महीने में कम हुई है। इसकी वजह जिंसों की घटती कीमत और आयात को लेकर सरकार की नीति में बदलाव है।
आयात पर IGST 2.66 प्रतिशत घटकर जून महीने में 39,35 करोड़ रुपये रह गया है, जबकि जून 2022 में इस मद में 40,102 करोड़ रुपये आए थे।
सिगरेट, ऑटोमोबाइल, पान मसाला और तंबाकू के आयात पर लगने वाले उपकर से भी बहुत फायदा नहीं हुआ है। इस श्रेणी में कर संग्रह भी जून में 14.11 प्रतिशत घटकर 1,028 करोड़ रुपये रह गया है, जो एक साल पहले 1,197 करोड़ रुपये था।
जून के आंकड़ों में मई महीने में हुए लेन-देन के आंकड़े रहते हैं। वस्तुओं और सेवाओं का आयात इस साल मई में 7.44 प्रतिशत कम होकर 70.64 अरब डॉलर रह गया है, जो एक साल पहले 76.32 अरब डॉलर था।
आयात पर IGST से संग्रह अप्रैल में भी कम हुआ था, लेकिन अगले महीने में इसमें सुधार हुआ। इससे प्राप्तियां अप्रैल 2023 में 4.7 प्रतिशत गिरकर 34,972 करोड़ रुपये रह गईं, जो अप्रैल 2022 में 36,705 करोड़ रुपये रही हैं।
बहरहाल आयात पर IGST इस साल मई में 11.48 प्रतिशत बढ़कर 41,772 करोड़ रुपये हो गया है, जो एक सालपहले 37,469 करोड़ रुपये था। हालांकि आयात पर उपकर अप्रैल और मई दोनों महीनों में बढ़ा है।
अप्रैल में यह 5.13 प्रतिशत बढ़कर 901 करोड़ रुपये होगया है, जो एक साल पहले 857 करोड़ रुपये था। इसके बाद मई में यह 13.53 प्रतिशत बढ़कर 1,057 करोड़ रुपये हो गया है, जो मई 2022 में 931 करोड़ रुपये था।
वाणिज्यिक और सेवा का आयात मार्च में 7.98 प्रतिशत गिरकर 72.18 अरब डॉलर और अप्रैल में 9.92 प्रतिशत घटकर 66.40 अरब डॉलर रह गया।
आयात अपवाद है, अन्यथा चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 3 महीनों में जीएसटी के आंकड़े मजबूत रहे हैं। दरअसल कुल मिलाकर IGST, जिसमें घरेलू लेनदेन और आयात शामिल है, 8.81 प्रतिशत बढ़कर अप्रैल में89,158 करोड़ रुपये और मई में 10.93 प्रतिशत बढ़कर 81,363 करोड़ रुपये और जून में 5.80 प्रतिशत बढ़कर 80,292 करोड़ रुपये हो गया है।