कलपुर्जों के लिए चीन पर निर्भर रहने वाली वाहन और टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियां (Automotive and consumer durables companies) को चीन द्वारा अपनी जीरो कोविड नीति खत्म किए जाने के बाद सप्लाई चेन की बाधाएं कम होती दिख रही हैं।
असल में टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की फर्मों ने पिछले दो साल के दौरान जिन बाधाओं का सामना किया है, वे बाधाएं न केवल कम हुई हैं, बल्कि सप्लाई भी कोविड से पहले वाले स्तर पर लौट आई है। हालांकि वाहन क्षेत्र के मामले में अब भी सुधार बाकी है।
वैश्विक महामारी से पहले टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की कंपनियों के कजपुर्जे 20 से 30 दिनों में भारतीय बंदरगाहों तक पहुंचते थे। लेकिन महामारी के दौरान इन कलपुर्जों को बंदरगाहों तक पहुंचने में 45 दिन से अधिक का समय लगता था। अब वह स्थिति लौटकर महामारी से पहले वाली प्रवृत्ति में आ गई है।
आपूर्ति भले ही तेज हो गई हो, लेकिन कंपनियां कमोडिटी की कीमतों पर बारीकी से नजर रख रही हैं। उन्हें इस बात का डर है कि ये कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था खुल रही है और इसके साथ ही धातुओं की मांग और दामों में इजाफा हो रहा है।
टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की फर्मों के मामले में कलपुर्जों के दामों में पहले ही तेजी है, खास तौर पर टेलीविजन पैनल के दाम। किसी टेलीविजन पैनल में 60 प्रतिशत का योगदान करने वाले ओपन सेल के दामों में पांच से सात प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कुछ अन्य कमोडिटी के दामों में भी इजाफा हो रहा है।
कोडक ब्रांड की लाइसेंसधारक सुपर प्लास्ट्रोनिक्स के निदेशक (director) और मुख्य कार्याधिकारी (CEO) अवनीत सिंह मारवाह ने कहा कि प्रतिबंधों में ढील दी गई है और कारखाने पूरे जोरों पर चल रहे हैं। अब आपूर्ति श्रृंखला कोविड से पहले वाले स्तर पर लौट आई है।
गोदरेज ऐंड बॉयस की शाखा गोदरेज एप्लायंसेज के कारोबार प्रमुख और कार्यकारी उपाध्यक्ष कमल नंदी भी मारवाह के नजरिये से इत्तेफाक रखते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने उत्पादन पर आधारित कलपुर्जों का फिर से स्टॉक करने लगे हैं क्योंकि सप्लाई चेन की दिक्कतें अब मौजूद नहीं हैं।
मारवाह ने कहा कि हालांकि कंपनी उसी तरह अधिक स्तर का स्टॉक रख रही है, जैसा महामारी के दौरान किया गया था, लेकिन हालात बदलने के मामले में अगली तिमाही में स्टॉक कम हो जाएगा।
वाहन क्षेत्र
वाहन क्षेत्र में भी कंपनियां कमोडिटी की कीमतों को लेकर सतर्क हैं। महिंद्रा ऐंड महिंद्रा के कार्यकारी निदेशक राजेश जेजुरिकर ने तीसरी तिमाही के परिणाम की बैठक में कहा है कि जिसों के मूल्य निर्धारण का परिदृश्य अनिश्चित है। फिलहाल हम जिस बात को देखने का इंतजार कर रहे हैं, वह यह है कि चीन के खुलने के बाद क्या होता है।
उन्होंने कहा कि यदि चीन की अर्थव्यवस्था वास्तव में आगे बढ़ती है, तो मांग के लिहाज से यह वैश्विक वातावरण को पूरी तरह से बदल सकती है।
उन्होंने कहा कि हमने भारत सहित कई देशों में यह देखा है कि किसी व्यापक लॉकडाउन से बाहर आना उत्पादन, मांग, खपत वगैरह के मामले में एक बहुत बड़ी शुरुआत होती है। चीन में शायद सबसे लंबा लॉकडाउन रहा है। तो, अब देखने वाली बात यह है कि चीन की कहानी का क्या रहती है। यूरोपीय संघ और अमेरिका वगैरह में मंदी से इसकी भरपाई हो सकती है। इसलिए यह कहना बहुत मुश्किल है कि जिंसों की कीमतों के मामले में क्या होगा। जिंसों की कीमतों में नरमी की वजह से तीसरी तिमाही में मार्जिन में सुधार हुआ है।