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इक्विटी बाजारों में कई जोखिमों का नहीं दिखेगा असर!

Last Updated- December 12, 2022 | 5:37 AM IST

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जीसैप) के साथ क्वांटीटेटिव ईजिंग (क्यूई) पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके तहत केंद्रीय बैंक वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में सेकंडरी बाजार में 1 लाख करोड़ रुपये के सरकारी बॉन्ड खरीदेगा। यदि पूरे वित्त वर्ष में इसी रफ्तार से सरकारी बॉन््ड खरीदे गए तो यह वित्त वर्ष 2021 में दर्ज 3.1 लाख करोड़ रुपये की आरबीआई की खरीदारी को पार कर जाएगा।
इसके अलावा, आरबीआई नीतिगत दरों को कम बनाए हुए है और ‘ऑपरेशन टि्वस्ट’ जैसे ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) कर रहा है। इसमें बॉन्ड प्रतिफल नियंत्रित रखने के लिए अल्पावधि बॉन्ड की बिक्री और दीर्घावधि डेट की खरीदारी होती है।
जीसैप का मकसद क्या है? यह पुनर्खरीद नए बॉन्डों की खरीदारी (या अन्य उद्देश्यों के लिए) तरलता प्रदान करता है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी उधारी को आसान बनाना है। इससे संस्थागत निवेशक कॉरपोरेट उधारी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
सरकारी उधारी के आकार से पता चलता है कि कॉरपोरेट उधारी बरकरार रहेगी। केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2022 में 12.05 लाख करोड़ रुपये का ऋण लेगी। राज्य भी बड़ी पूंजी जुटाएंगे। केंद्र 9.3 लाख करोड़ रुपये का ऋण लेगा। वित्त वर्ष 2021 में वाणिज्यिक उधारी महज करीब 6 प्रतिशत बढ़ी, दो अंक की जीडीपी वृद्घि को ध्यान में रखकर इसे करीब 18-20 प्रतिशत पर पहुंचाने की जरूरत होगी।
यदि प्रतिफल कम बना रहता है और मुद्रास्फीति ऊंची रहती है तो जी-सेक पर वास्तविक प्रतिफल कमजोर या काफी कम रह सकता है। आरबीआई द्वारा पूंजी डाले जाने से रुपये के कर्ज का आकर्षण घट सकता है। साथ ही, कोविड की दूसरी लहर और लॉकडाउन से पहली तिमाही की वृद्घि के परिदृश्य की रेटिंग में कमी को बढ़ावा मिला है। इससे इक्विटी कम आकर्षक होती है। संयुक्त रूप से, इससे एफपीआई निकासी को बढ़ावा मिल सकता है। अप्रैल में अब तक, एफपीआई ने 5,300 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि 1,500 करोड़ रुपये के डेट की खरीदारी की।
रुपये पर दबाव बना रहेगा। अमेरिका के आर्थिक रिकवरी से अन्य मुद्राओं के विपरीत डॉलर की तेजी को बढ़ावा मिला है। रुपया सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल रहा है और यह डॉलर के मुकाबले 72.30 से घटकर 75.45 पर आ गया। रुपये में कमजोरी का रुझान पूरे वित्त वर्ष बना रह सकता है।

First Published - April 21, 2021 | 11:37 PM IST

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