अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने मंगलवार को वित्त वर्ष 25 के लिए 7 प्रतिशत और वित्त वर्ष 26 के लिए 6.5 प्रतिशत के भारत के जीडीपी वृदि्ध अनुमान को यथावत रखा। इसकी वजह यह है कि महामारी के बाद जो रुकी हुई मांग अचानक बढ़ गई थी, उसका असर अब खत्म हो रहा है और अर्थव्यवस्था अपनी वास्तविक क्षमता से जुड़ रही है।
आईएमएफ की वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, ‘जीडीपी वृद्धि 2023 के 8.2 प्रतिशत से सुस्त होकर 2024 में 7 प्रतिशत और 2025 में 6.5 प्रतिशत होने का अनुमान है। महामारी के दौरान संचित दबी हुई मांग समाप्त हो गई है, क्योंकि अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता के साथ फिर से जुड़ रही है।’
इससे पहले इस महीने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने भी अपनी मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा में मौजूदा वित्त वर्ष की वृद्धि के अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। आरबीआई ने इसका कारण मजबूत खपत और निवेश की गति को बताया है।
वैश्विक मोर्चे पर हालिया नजरिया के अनुसार वृद्धि अनुमान भी जुलाई के अनुमान से लगभग अपरिवर्तित है। जुलाई में पेश किए गए 2024 और 2025 के 3.2 प्रतिशत के अनुमान को लगभग स्थिर रखा गया है।
हालांकि जुलाई में पेश किए गए 2025 के अनुमान 3.3 प्रतिशत के अनुमान को आंशिक रूप से संशोधित कर 10 आधार अंक कम कर दिया गया है।
आईएमएफ का कहना है कि महत्त्वपूर्ण क्षेत्रवार और क्षेत्रीय बदलावों ने वैश्विक नजरिये को स्थिर कर दिया है। इस दौरान सेवाओं की तुलना में वस्तुओं के दाम बढ़े हुए रहे और यह महामारी और उसके बाद की स्थिति का असर है।