वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि चालू तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहने की उम्मीद है क्योंकि आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख संकेतकों में निरंतर सुधार दिख रहा है। आर्थिक मामलों के विभाग ने नवंबर के लिए मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में संकुचन का कोई कारक नजर नहीं आ रहा है। पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसदी की गिरावट आई थी। जीडीपी में तेज गिरावट के पीछे सरकार ने लॉकडाउन और वैश्विक परिदृश्य को जिम्मेदार बताया था।
मासिक समीक्षा में आगे कहा गया है कि जुलाई-सितंबर तिमाही में गिरावट की रफ्तार धीमी होकर 7.5 फीसदी रह गई। इससे पता चलता है कि तिमाही आधार पर जीडीपी में अच्छा सुधार हुआ है।
हालांकि अर्थशास्त्री वृद्घि में गिरावट पर सरकार के तर्कों से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि अर्थव्यवस्था में पिछले कुछ वर्षों से संरचनात्मक कमजोरी दिख रही है।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘मांग में नरमी और संरचनात्मक कमजोरी पिछले कुछ वर्षों से बनी हुई है। अर्थव्यवस्था में निवेश घटा है और खपत मांग की वृद्घि भी स्थिर रही है। लॉकडाउन की वजह से नौकरियां घटने से अनिश्चितता और बढ़ गई। मौजूदा हालात को देखते हुए चौथी तिमाही से पहले सकारात्मक दायरे में आने की उम्मीद नहीं है।’
समग्र परिदृश्य पर चर्चा करते हुए रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि ‘वी-शेप’ (तीव्र) सुधार देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। आर्थिक गतिविधि संकेतकों में लगातार दो महीने सुधार होने से तीसरी तिमाही में बेहतर प्रदर्शन की आस बंधी है। रिपोर्ट में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण गिरावट के जोखिमों का भी जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि पहली तिमाही की तरह अर्थव्यवस्था में तेज गिरावट की आशंका नहीं है और टीके की दिशा में प्रगति और अनुबंध आधारित क्षेत्रों में सुधार से अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन बेहतर रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया कि कृषि क्षेत्र के बाद निर्माण और विनिर्माण क्षेत्र वृद्घि को बढ़ावा देने के लिए अहम है। सेवा क्षेत्र के साथ ही लॉजिस्टिक्स और संचार क्षेत्र का योगदान रहा है।
अर्थव्यवस्था की मजबूत बुनियाद पर भरोसा जताते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि लॉकडाउन खत्म होने तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान ने अर्थव्यवस्था को सुधार की राह पर लाने में मदद की है।
तीसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था पर वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का असर नहीं पड़ेगा क्योंकि यहां आर्थिक गतिविधियों में सुधार देखा जा रहा है। रबी की बुआई का रकबा बढऩे से 2020-21 में कृषि उत्पादन में भी इजाफा होगा। रबी बुआई से श्रमिकों की मांग भी बढ़ी है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘अक्टूबर में कारों, दोपहिया और तिपहिया के साथ ट्रैक्टरों की बिक्री भी बढ़ी है जो लोगों की आय में वृद्घि कोदर्शाता है।’
दीवाली के समय आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत तीसरे प्रोत्साहन से विभिन्न क्षेत्रों को लाभ हुआ है जिससे अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार हुआ और रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं।
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की बात करें तो भारत निवेशकों का पसंदीदा गंतव्य बना हुआ है और 2020-21 की पहली छमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सालाना आधार पर 10 फीसदी का इजाफा हुआ है।
