प्रतीकात्मक तस्वीर
दर कटौती के अभी चल रहे सिलसिले में टर्मिनल रीपो दर पर बाजार की राय एकदम बंटी हुई है। बिज़नेस स्टैंडर्ड पोल में शामिल आधे भागीदारों को लगता है कि यह 5.25 फीसदी रहेगी और आधे मानते हैं कि अब यह 5.50 फीसदी ही रहेगी।
जो 5.25 फीसदी टर्मिनल रीपो दर के पाले में खड़े हैं, उन्हें उम्मीद है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति अक्टूबर या दिसंबर की बैठक में रीपो दर में 25 आधार अंक कटौती कर सकती है। उन्होंने आपूर्ति में झटके लगने की आशंका का हवाला देते हुए कहा कि वित्त वर्ष 2026 में समग्र मुद्रास्फीति औसतन करीब 3 फीसदी रह सकती है, जो रिजर्व बैंक के 3.7 फीसदी के अनुमान से काफी कम है। उन्होंने बताया कि कुछ खाद्य पदार्थों की कीमत बढ़ने के कारण ऐसे झटके लगते रहते हैं। केंद्रीय बैंक ने 2 फीसदी घटबढ़ के साथ 4 फीसदी के करीब मुद्रास्फीति का लक्ष्य रखा है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘वृद्धि दर पर बात करें तो सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का हमारा अनुमान रिजर्व बैंक के 6.5 फीसदी से करीब है मगर इसमें थोड़ी गिरावट हो सकती है और यह 6.3 फीसदी रह सकती है। कमजोर निर्यात, भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं और शुल्कों पर अस्पष्टता के कारण इसमें कुछ जोखिम है। शहरी मांग अपेक्षाकृत कमजोर है, लेकिन ग्रामीण संकेतकों में सुधार नजर आ रहा है। मुद्रास्फीति लक्ष्य से काफी नीचे है, इसलिए नीतिगत दरों में एक बार और कटौती किए जाने की पूरी गुंजाइश है।’
मौद्रिक नीति समिति ने जून की बैठक में नीतिगत रीपो दर 50 आधार अंक घटाकर 5.5 फीसदी कर दी है। बाजार को केवल 25 आधार अंक कटौती की उम्मीद थी। समिति ने अपना रुख भी उदार के बजाय तटस्थ कर दिया। रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि इस साल फरवरी से लगातार रीपो दर में 100 आधार अंकों की कटौती की गई है, जिसके बाद मौद्रिक नीति में वृद्धि को सहारा देने के लिए बहुत कम गुंजाइश रह गई है।
दूसरे पाले में खड़े अर्थशास्त्रियों का कहना है कि जून से सितंबर तक महंगाई के आंकड़े कम दिख सकते हैं मगर सब्जियों की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखते हुए कुल अनुमान ज्यादा नहीं बदलेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे क्षणिक उतार-चढ़ाव से नीतिगत दरों पर फौरन कोई फैसला नहीं किया जा सकता। माना यही जा रहा है कि मुद्रास्फीति अगले साल नीचे आ सकती है यानी फिलहाल ब्याज दरों में और कटौती की संभावना नहीं है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘हमें अब भी टर्मिनल रीपो दर 5.5 फीसदी रहने की उम्मीद है। हमारे ख्याल से इसमें कोई बदलाव नहीं होने वाला है। जून और सितंबर में महंगाई और घट सकती है मगर सब्जियों के दाम तेजी से चढ़ने के कारण इसमें खास बदलाव नहीं आएगा। हमें कुछ समय की गिरावट देखकर ब्याज दरों में कटौती की जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। मुद्रास्फीति में कमी अगले साल ही आने की संभावना है, इसलिए हमें फिलहाल किसी कटौती की उम्मीद नहीं है।’
5.25 फीसदी टर्मिनल रीपो दर का अनुमान लगाने वाले अर्थशास्त्रियों ने कहा कि कमजोर निर्यात, भू-राजनीतिक अस्थिरता और व्यापार शुल्क पर स्पष्टता न होने से वृद्धि सुस्त हो सकती है। देश के भीतर शहरी मांग में नरमी दिख रही है, लेकिन ग्रामीण खपत में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरों में कटौती कब होगी, यह अहम है। रिजर्व बैंक ने अपना रुख तटस्थ कर दिया है और मॉनसून की तस्वीर साफ होने का इंतजार कर रहा है, इसलिए अगस्त में दर कटौती की संभावना नहीं है।
मौद्रिक नीति समिति की अक्टूबर या दिसंबर की बैठक से पहले मॉनसून के पूरे असर का पता चल जाएगा और यह अनुमान भी आ जाएगा कि खरीफ और रबी फसलों का उत्पादन कैसा रहेगा। सितंबर और नवंबर में बैंकों का नकद आरक्षी अनुपात घटाया जाना है, जिसका पूरा असर भी दिसंबर तक सामने आ जाएगा। इससे रिजर्व बैंक को पता चल जाएगा कि तरलता और प्रणाली पर इसका असर कैसा रहा।