प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
अगस्त में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से भारत के शुद्ध राजस्व में 10.7 प्रतिशत की बढ़त हुई जो तीन महीने में सबसे तेज है। वहीं इस महीने में सकल कर संग्रह में वृद्धि पिछले महीने के 7.5 प्रतिशत से घटकर 6.5 प्रतिशत रह गई है। अगस्त में करदाताओं को दिए गए रिफंड में लगभग 20 प्रतिशत की गिरावट आई है।
जुलाई में किए गए लेनदेन पर लगने वाले जीएसटी से अगस्त में कर संग्रह लगभग 1.86 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले महीने की तुलना 4.8 प्रतिशत कम है। हालांकि जून और जुलाई के दौरान रिफंड में उच्च वृद्धि (जून में 28.4 प्रतिशत और जुलाई में 66.8 प्रतिशत) के बाद अगस्त में रिफंड कम होने के कारण कर संग्रह पर असर 1 प्रतिशत रहा और जुलाई के 1.68 लाख करोड़ रुपये से घटकर अगस्त में लगभग 1.67 लाख करोड़ रुपये रह गया।
जुलाई में शुद्ध जीएसटी राजस्व में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि जून में इसमें 3.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। अगस्त में घरेलू लेनदेन से शुद्ध राजस्व 13.5 प्रतिशत बढ़कर 1.25 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि सकल घरेलू संग्रह 9.6 प्रतिशत बढ़कर 1.36 लाख करोड़ रुपये हो गया। घरेलू लेनदेन के लिए रिफंड 21.4 प्रतिशत कम हुआ है।
अगस्त में आयात से सकल राजस्व में 1.2 प्रतिशत की गिरावट आई, लेकिन निर्यातकों को जीएसटी रिफंड में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट आई। इसकी वजह से आयात से शुद्ध राजस्व में 3 प्रतिशत की धनात्मक वृद्धि हुई।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जुलाई 2025 में वस्तु आयात में तेज वृद्धि को देखते हुए आयात पर एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) संग्रह में संकुचन हैरान करने वाला है, जो अगस्त 2025 के आंकड़ों में दिखाई देता।’
उन्होंने आगे कहा, ‘केंद्रीय जीएसटी और राज्य जीएसटी राजस्व में 2 अंकों की वृद्धि हुई है, वहीं आईजीएसटी और उपकर संग्रह में वृद्धि धीमी रही, जिससे अगस्त में सकल जीएसटी में वृद्धि 6.5 प्रतिशत तक सीमित हो गई। कम थोक मूल्य और उपभोक्ता मूल्य महंगाई दर की वजह से भी आंशिक रूप से जीएसटी की वृद्धि सीमित हुई है।’
डेलॉइट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘कर संग्रह में वृद्धि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि के आंकड़ों के अनुरूप है और इससे नीति निर्माताओं को इस सप्ताह जीएसटी परिषद की बैठक में चर्चा के लिए निर्धारित जीएसटी 2.0 सुधारों के साथ आगे बढ़ने का आत्मविश्वास मिलेगा।’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे विनिर्माण करने वाले बड़े राज्यों में 9 प्रतिशत से 21 प्रतिशत की सीमा में मजबूत वृद्धि देखी गई है।