वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह जुलाई की तुलना में अगस्त में कम हुआ है। हालांकि बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जीएसटी संग्रह 1.1 लाख करोड़ रुपये से ऊपर है, जिससे कोविड-19 के मामले घटने के साथ देश के अधिकांश इलाकों में आर्थिक गतिविधियों के गति पकडऩे के संकेत मिल रहे हैं।
राजस्व संग्रह बेहतर रहने से सरकार को खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी, जिससे आर्थिक पुनरुद्धार सुनिश्चित होगा। वहीं विशेषज्ञ रिकवरी को बढ़ा चढ़ाकर दिखाने को लेकर सावधानी भी बरत रहे हैं, क्योंकि पिछले माह की तुलना में जीएसटी संग्रह कम हुआ है, जुलाई में प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर उम्मीद से कम रही है और विनिर्माण क्षेत्र का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) अगस्त महीने में गिरा है।
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक अगस्त में जीएसटी संग्रह 1.12 लाख करोड़ रुपये रहा, जो जुलाई में 1.16 लाख करोड़ रुपये था। हाल के आंकड़े जुलाई में हुए लेन देन के मुताबिक हैं। अगस्त में संग्रह पिछले साल के समान महीने की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा है और 2019-20 के समान महीने की तुलना में 14 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।
जुलाई के जीएसटी के आंकड़े थोड़ा बढ़े हुए थे, क्योंकि इसमें जून के करीब 5,000 करोड़ रुपये शामिल थे और इस तरह से अगस्त महीने में थोड़ी कमी की व्याख्या की जा सकती है। जुलाई महीने में ई-वे बिल के सृजन में तेज बढ़ोतरी देखी गई और इसमें पिछले महीने की तुलना में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ई-वे बिल का सृजन, जो अर्थव्यवस्था में आपूर्ति के संकेत देता है, 21 लाख रहा, जो जून में 18 लाख था।
माह के दौरान घरेलू लेन-देन (सेवाओं के आयात सहित) से राजस्व पिछले साल के समान महीने में इन स्रोतों से प्राप्त राजस्व की तुलना में 27 प्रतिशत ज्यादा रहा है। जून महीने में 8 महीनों में पहली बार जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये से कम हुआ था, क्योंकि कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश के बड़े हिस्से में स्थानीय स्तर पर लॉकडाउन था।
इस साल अप्रैल में जीएसटी संग्रह 1.41 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया था।
वित्त मंत्रालय ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा, ‘कोविड संबंधी प्रतिबंधों में ढील के साथ जुलाई और अगस्त 2021 के दौरान फिर जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया है। इससे साफ संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था तेजी से सुधर रही है। आर्थिक वृद्धि के साथ, कर चोरी संबंधी गतिविधियों खासकर फर्जी बिलों के खिलाफ कार्रवाई की वजह से भी जीएसटी संग्रह बढ़ा है।’ इसमें कहा गया है कि जीएसटी संग्रह में तेज बढ़ोतरी आने वाले महीनों में भी जारी रहने की संभावना है।
बहरहाल इक्रा रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले महीने की तुलना में जीएसटी संग्रह में कमी, प्रमुख क्षेत्र की वृद्धि दर उम्मीद से कम रहने और अगस्त में विनिर्माण पीएमआई में गिरावट से संकेत मिलते हैं कि रिकवरी की मजबूती को लेकर कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है।
नायर ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि आने वाली तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि दर 7.8 से 8.8 प्रतिशत की सीमा में रहेगी और कुल मिलाकर जीडीपी के आंकड़े महामारी के पहले के स्तर से नीचे रहेंगे। सेवा क्षेत्र अभी भी गति पकडऩे के लिए संघर्ष कर रहा है।’ उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह मजबूत बना रहेगा और इससे केंद्र व राज्यों के नकदी प्रवाह को आसान करने में मदद मिलेगी।
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा कि जुलाई और अगस्त महीने में जीएसटी संग्रह 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जिससे साफ संकेत मिलता है कि अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से बहाल हो रही है।
डेलॉयट इंडिया में सीनियर डायरेक्टर एमएस मणि ने कहा कि विनिर्माण करने वाले ज्यादातर प्रमुख राज्यों में संग्रह में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 25 से 35 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जिससे संकेत मिलता है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक रिकवरी तेज रह सकती है। तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे विनिर्माण वाले राज्यों में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में कर संग्रह में 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।