चालू वित्त वर्ष के दिसंबर माह में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह घटकर तीन महीने के निचले स्तर पर आ गया। दीवाली के बाद के त्योहारों के कारण जीएसटी संग्रह की रफ्तार सुस्त पड़ी, मगर दिसंबर में आंकड़ा 1.65 लाख करोड़ रुपये का रहा। वृद्धि दर भी एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले घटकर 3 महीने के निचले स्तर 10.3 फीसदी पर आ गई। एक साल पहले की समान अवधि में जीएसटी संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये रहा था।
दिसंबर का जीएसटी संग्रह आमतौर पर नवंबर में हुए लेनदेन से संबंधित था। इसी अवधि में दीवाली के बाद की छुट्टियां थीं, जिससे जीएसटी संग्रह की रफ्तार धीमी हो गई। अन्य आंकड़ों में भी यही दिखा। उदाहरण के लिए, नवंबर में आठ प्रमुख क्षेत्रों (कोर सेक्टर) की वृद्धि छह महीने की सबसे कम 7.8 फीसदी पर रही।
भले ही दिसंबर में जीएसटी संग्रह एक माह पहले के मुकाबले कम रहा हो, मगर वह चालू वित्त वर्ष के नौ महीनों में से छठे महीने कम से कम 1.65 लाख करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 2024 में दिसंबर तक किसी भी महीने जीएसटी संग्रह का आंकड़ा 1.57 लाख करोड़ रुपये से कम दर्ज नहीं किया गया। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों के दौरान औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह 1.66 लाख करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2023 की समान अवधि में दर्ज 1.49 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 12 फीसदी अधिक है।
केपीएमजी के पार्टनर एवं राष्ट्रीय प्रमुख (अप्रत्यक्ष कर) अभिषेक जैन ने कहा, ‘एक माह पहले के मुकाबले दिसंबर में जीएसटी संग्रह में थोड़ी नरमी भले ही दिख रही हो, लेकिन उसका लगातार 1.6 लाख करोड़ रुपये के पार बने रहना व्यापक राजकोषीय भरोसे को दर्शाता है।’
जीएसटी निपटान के बाद केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) दिसंबर में 70,501 करोड़ रुपये रहा जो वित्त वर्ष 2024 के पहले नौ महीनों में अप्रैल और अक्टूबर के बाद तीसरा सबसे बड़ा संग्रह है। इसके साथ ही अप्रैल से दिसंबर के दौरान सीजीएसटी संग्रह 6.26 लाख करोड़ रुपये रहा जो 2023-24 के बजट अनुमान 8.12 लाख करोड़ रुपये का 77 फीसदी है।
चालू वित्त वर्ष में तीन महीने अभी बाकी हैं और इस लिहाज से सीजीएसटी संग्रह का आंकड़ा बजट अनुमान के पार पहुंचने की उम्मीद है। राज्यों को 42 फीसदी हस्तांतरित किए जाने के बाद दमदार प्रत्यक्ष कर संग्रह के साथ सीजीएसटी प्राप्तियां सरकार को चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 फीसदी के दायरे में रखने के लिए पर्याप्त होंगी।
विनिवेश प्राप्तियों में कमी और विभिन्न सब्सिडी के कारण राजस्व व्यय अधिक होने के बावजूद ऐसा होने की संभावना है। पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि रिफंड के बाद प्रत्यक्ष कर संग्रह चालू
वित्त वर्ष में 17 दिसंबर तक 20.66 फीसदी बढ़कर 13.7 लाख करोड़ रुपये हो गया। यह 2023-24 के बजट अनुमान 18.23 लाख करोड़ रुपये का तीन-चौथाई से अधिक है।
दिसंबर में घरेलू लेनदेन से प्राप्त राजस्व में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 13 फीसदी की वृद्धि हुई। इसका मतलब साफ है कि वस्तुओं के आयात पर जीएसटी में सकल जीएसटी के मुकाबले नरमी आई है। दिसंबर में वस्तुओं के आयात पर जीएसटी संग्रह एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले महज 3.65 फीसदी बढ़कर 42,613 करोड़ रुपये हो गया।
सिक्किम और मेघालय को छोड़कर हरेक राज्य में दिसंबर के जीएसटी संग्रह में वृद्धि दर्ज की गई है। मेघालय में महीने के दौरान जीएसटी संग्रह 171 करोड़ रुपये रहा। लद्दाख, अरुणाचल प्रदेश, अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप जैसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में दिसंबर के जीएसटी संग्रह में 35 से 310 फीसदी के दायरे में वृद्धि दर्ज की गई।
ईवाई के टैक्स पार्टनर सौरभ अग्रवाल ने कहा कि इसकी मुख्य वजह इन क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी है। मगर राजस्थान, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में दिसंबर के जीएसटी संग्रह में महज 1 फीसदी की वृद्धि हुई। झारखंड ने 4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस मणि ने कहा, ‘प्रमुख राज्यों ने वृद्धि को बरकरार रखा है, लेकिन राजस्थान, छत्तीसगढ़ और झारखंड में जीएसटी संग्रह में वृद्धि की कमी पर ध्यान देने की जरूरत है। ‘