सिटीग्रुप और आईसीआईसीआई बैंक के बाद स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक को भी भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर में इस साल गिरावट आने का अंदेशा सता रहा है।
बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान विकास दर 7 फीसद ही रहेगी और अगले वित्त वर्ष में इसमें और गिरावट आएगी। बैंक के प्रबंध निदेशक शिव खजांची ने बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान आर्थिक विकास दर बमुश्किल 6.3 फीसद ही रहेगी। लेकिन इसके बाद हालात सुधरेंगे और 2010 के आरंभ में अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।
खजांची ने इस बात से इनकार किया कि मंदी का असर उनके कारोबार पर पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका, यूरोप और जापान की तरह भारत में मंदी का असर बहुत ज्यादा नहीं है। एशिया इससे काफी हद तक बचा हुआ है। इसलिए निजी बैंकिंग में हमारी विकास दर पर कोई असर नहीं पड़ेगा। वैसे भी हमारे पास नकदी की कोई कमी नहीं है।’
उन्होंने भारत को अपने लिए सबसे अहम बाजारों में बताया। फिलहाल बैंक के मुनाफे में योगदान करने वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर है। खजांची के मुताबिक भारत में उनका निवेश जारी रहेगा। पिछले साल यहां बैंक ने 80 करोड़ डॉलर का कारोबार किया था और इस साल यह आंकड़ा और भी बेहतर हो सकता है।
उन्होंने कहा, ‘हमारा कारोबार बढ़ रहा है और अगले दो साल में हम भारत के तीन सबसे बड़े बैंकों में शामिल होंगे।’ खजांची ने विस्तार योजनाओं से भी इनकार नहीं किया। उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंक कुल छह बड़े शहरों में अपना निजी बैंकिंग कारोबार चलाना चाहता है।
दो साल में उनकी योजना आठ जगहों पर मौजूद होने की है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड भारत में अधिग्रहण की संभावनाएं भी खंगाल रहा है। खजांची ने लागत घटाने के उपायों से भी इनकार नहीं किया।
उन्होंने कहा, ‘हम हमेशा से लागत के मामले में सतर्क रहे हैं और आगे भी रहेंगे। लेकिन हमें कुछ राहत है क्योंकि एशिया हमारा सबसे अहम बाजार है और वित्तीय संकट का असर उस पर ज्यादा नहीं पड़ा है। लेकिन वित्तीय संकट से हम भी अछूते नहीं हैं क्योंकि कारोबार में मंदी तो आई ही है। इसलिए हम लागत पर पूरी नजर रखेंगे।’
उन्होंने भारत को अहम बाजारों में बताया। बैंक के मुनाफे में योगदान करने वाले देशों में भारत दूसरे नंबर पर है। खजांची के मुताबिक भारत में निवेश जारी रहेगा।