अर्थव्यवस्था

ग्रोथ नाजुक और रियल इंटरेस्ट रेट बहुत अधिक : MPC सदस्य जयंत वर्मा

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मनोजित साहा
Last Updated- February 23, 2023 | 1:16 PM IST

नाजुक ग्रोथ की उम्मीदों की अवधि के दौरान रियल इंटरेस्ट रेट बहुत अधिक हैं और पता नहीं MPC के सभी सदस्य इसी तरह के रुख को समझते हैं या नहीं। मनोजित साहा के साथ एक साक्षात्कार में जयंत वर्मा ने यह बात कही। पेश है उनसे बातचीत के मुख्य अंश :

जनवरी की इन्फ्लेशन एक बार फिर 6 प्रतिशत के स्तर से ऊपर थी। क्या आपको लगता है कि यह कम हुई है ? कई लोग तर्क देंगे कि फरवरी की नीति में इंटरेस्ट रेट में वृद्धि करना सही था क्योंकि महंगाई अभी भी कण्ट्रोल में नहीं आ रही है। आप क्या मानते है ?

मॉनेटरी पॉलिसी तीन से पांच तिमाहियों के अंतराल के साथ काम करती है। पिछले महीने की महंगाई के आधार पर रेट तय करना ‘रियर-व्यू मिरर’ में देखकर कार चलाने जैसा है। महत्वपूर्ण यह है कि अगली तीन से चार तिमाहियों में मुद्रास्फीति का पूर्वानुमान लगाया जाए।

स्टिकी कोर महंगाई को लेकर आप कितने चिंतित हैं? बाहरी सदस्यों की तुलना में आरबीआई के आंतरिक सदस्य कोर मुद्रास्फीति के बारे में अधिक चिंतित हैं। आपको क्यों लगता है कि आंतरिक और बाहरी सदस्यों के बीच विचारों में भिन्नता है?

कोर मुद्रास्फीति अब तक कई तिमाहियों से बढ़ी है। यह गंभीर चिंता का विषय होगा यदि मुद्रास्फीति के अनुमान को ‘डी-एंकरिंग’ से जोड़ा जाएगा। सबूत इसके बिल्कुल विपरीत हैं। मुद्रास्फीति की उम्मीदें तेजी से नीचे आई हैं, खासकर व्यवसायों के मामले में।

आपको क्यों लगता है कि ग्रोथ को लेकर संतोष है ?

एक्सपोर्ट धीमा हो गया है। फिस्कल डेफिसिट में महत्वपूर्ण कमी स्पष्ट रूप से इकॉनमी को रफ़्तार को प्रभावित कर रही है। बढ़ती हुई ब्याज दरें ईएमआई बढ़ाने में प्रवाहित होने से निजी उपभोग के लिए प्रतिकूल परिस्थिति उत्पन्न होती है। निजी कैपिटल एक्सपेंडिचर अभी भी बहुत अस्थायी है और बढ़ती दरें इसे भी रोक सकती हैं। इसलिए ग्रोथ बहुत नाजुक है।

First Published : February 23, 2023 | 1:16 PM IST