सरकार चालू वित्त वर्ष में संभवतः राजकोषीय घाटे का लक्ष्य हासिल नहीं कर पाएगी। फिच सॉल्यूशंस की इकाई बीएमआई द्वारा मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार वित्त वर्ष 2025-26 के लिए अपने 4.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य से मामूली रूप से चूक सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूक का अंतर मामूली होगा क्योंकि आर्थिक वृद्धि का प्रदर्शन अनुमानों से कम रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका द्वारा लगाया गया जवाबी शुल्क राजकोषीय सुधार के लिए प्रमुख जोखिम है और यह राजकोषीय मजबूती को बेपटरी कर देगा।
बीएमआई रिपोर्ट में कहा गया है, ‘ऐसी स्थिति वृद्धि को प्रभावित करेगी, राजस्व संग्रह में कटौती होगी और संभवतः हर चक्र में व्यय में वृद्धि की जरूरत होगी। यह राजकोषीय मजबूती के एजेंडे को भी शायद बेपटरी करे, जिससे ऋम में कमी के बजाय वृद्धि होगी।’
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.1 फीसदी से कम होकर 4.5 फीसदी हो जाएगा। महालेखा नियंत्रक के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून तिमाही) में सरकार का राजकोषीय घाटा 2.8 लाख करोड़ रुपये अथवा बजट अनुमान का 17.9 फीसदी था, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में यह 8.4 फीसदी था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय राजस्व अब सकल घरेलू उत्पाद के 10 फीसदी से भी अधिक है, जो वित्त वर्ष 2010-11 के बाद से नहीं देखा गया। आयकर से छूट की सीमा 7 लाख रुपये से बढ़कर 12 लाख रुपये होने के बावजूद राजस्व दमदार बना हुआ है। छूट की सीमा बढ़ाए जाने से सरकारी खजाने को 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है, जो जीडीपी का 0.3 फीसदी होगा।