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BS Infra Summit 2025: बंदरगाहों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी पर सरकार का जोर

सरकार का लक्ष्य 2030 तक प्रमुख बंदरगाहों में निजी भागीदारी को 85 फीसदी तक बढ़ाना है।

Last Updated- August 21, 2025 | 11:04 PM IST
Sarbananda Sonowal

सरकार ने 60,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की 50 सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) परियोजनाओं की पहचान की है, जो राष्ट्रीय मुद्रीकरण के मूल लक्ष्यों से काफी ज्यादा है। इसके अलावा, सरकार का लक्ष्य 2030 तक प्रमुख बंदरगाहों में निजी भागीदारी को 85 फीसदी तक बढ़ाना है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने गुरुवार को बिजनेस स्टैंडर्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर समिट में ये बातें कही।

महाराष्ट्र के वधावन में 76,000 करोड़ रुपये के निवेश से निर्मित होने वाला ग्रीनफील्ड बंदरगाह चालू होने पर क्षमता के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह होगा, जिसके दो चरण 2029 और 2037 में पूरे हो जाएंगे। निकोबार बंदरगाह (जिसकी लागत 48,000 करोड़ रुपये है) 10 वर्षों में पूरा हो जाएगा। मंत्री ने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को कम करने के लिए भारत-मध्य पूर्व यूरोप गलियारा (आईएमईसी) और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा जैसे वैकल्पिक व्यापार गलियारे भी विकसित किए जा रहे हैं।

विजन 2030 व 2047 के लक्ष्य

पिछले 11 वर्षों में भारत ने अपनी बंदरगाह क्षमता का उल्लेखनीय विस्तार किया है। 12 प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो हैंडलिंग 85.5 करोड़ टन से बढ़कर 169.0 करोड़ टन हो गई है और कुल राष्ट्रीय क्षमता 2,60 करोड़ टन है। सरकार का लक्ष्य इसे 2047 तक 1000 करोड़ टन तक बढ़ाना है।

सोनोवाल ने कहा कि सरकार का लक्ष्य 2030 तक भारत को वैश्विक जहाज निर्माण केंद्र बनाना और 2047 तक पांच अग्रणी जहाज निर्माता देशों में शामिल करना है। उन्होंने कहा कि अमृत काल 2047 विजन में बंदरगाह बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए 80 लाख करोड़ रुपये का भारी निवेश शामिल है।

सोनोवाल ने कहा, इसका मकसद डिजिटलीकरण और स्वचालन के माध्यम से बंदरगाह क्षमता का विस्तार, परिचालन दक्षता और हाइड्रोजन हब जैसी हरित पहलों को बढ़ावा देना है। इस विजन का मकसद तटीय पर्यटन को बढ़ावा देना, समुद्री कौशल विकास को मजबूत करना और भारत को जहाज निर्माण, रीसाइक्लिंग और मरम्मत के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करना है। इस विजन के दूरगामी विकासात्मक परिणामों के चलते देश में लाखों रोजगार सृजित होंगे।

उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि हमारा क्षेत्र जो कुछ भी कर रहा है वह माननीय प्रधानमंत्री जी की दूरदर्शिता, उनके निर्देशन और उनके अथक प्रयासों और सुशासन के कारण है। सरकार अब जो भी योजनाएं शुरू कर रही है, उन्हें गुणवत्ता और प्रतिबद्धता के साथ लागू किया जाएगा। इसीलिए हम अपने भीतर यह विश्वास जगा पाए हैं। भारत 2029 तक तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है और 2047 तक हम नंबर एक अर्थव्यवस्था बन जाएंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।

विधायी सुधार

मंत्री ने कहा कि दशकों से भारत का समुद्री बुनियादी ढांचा पुरानी नीतियों के साथ-साथ स्थिर बना हुआ है। 2004 से 2014 के बीच केवल एक समुद्री कानून बनाया गया। मंत्री ने कहा, हमारे कुछ कानून 1856 के हैं। हमारा पिछला भारतीय बंदरगाह अधिनियम 1908 का था। हमारे प्रधानमंत्री ने हमेशा हमारे शासन, विकास और सुधार में एक मार्गदर्शक सिद्धांत के रूप में गति और पैमाने का उल्लेख किया है।

समुद्री क्षेत्र में कर सुधार

इस क्षेत्र की पूंजी प्रधान प्रकृति को ध्यान में रखते हुए इस साल की शुरुआत में केंद्रीय बजट में कई वित्तीय और कराधान सुधारों की घोषणा की गई। इनमें 25,000 करोड़ रुपये की पूंजी वाला समुद्री विकास कोष, नई जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति, क्षमता और सामर्थ्य विकास, अंतरदेशीय जहाजों के लिए टन भार कर योजना का विस्तार, जहाज निर्माण और जहाज तोड़ने के लिए आवश्यक सामग्री पर मूल सीमा शुल्क में छूट का विस्तार, बड़े जहाजों को बुनियादी ढांचा का दर्जा प्रदान करना, जहाज निर्माण क्लस्टरों को सुविधा प्रदान करना आदि परिवर्तनकारी घोषणाएं शामिल हैं। सोनोवाल ने कहा, इन्हें बहुत जल्द औपचारिक मंजूरी मिल जाएगी, जिससे हमारे देश में एक मजबूत और जीवंत शिपिंग क्षेत्र की स्थापना के लिए व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र तैयार हो जाएगा।

हरित पहल

हरित नौवहन भी सरकार की प्राथमिकता है। सरकार के पास हरित नौवहन को बढ़ावा देने, प्रमुख बंदरगाहों पर मेथनॉल और हरित हाइड्रोजन संयंत्रों के विकास, प्रमुख बंदरगाहों पर हरित ईंधनों की बंकरिंग और बंदरगाहों के बीच हरित गलियारों के निर्माण के लिए ‘हरित सागर’ दिशानिर्देश हैं।

First Published - August 21, 2025 | 10:59 PM IST

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