वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद सरकारी विभागों और स्थानीय अधिकारियों को ई-इन्वॉयसिंग शर्तों से बाहर रख सकती है। शुक्रवार को जीएसटी परिषद की बैठक होने वाली है। सरकार जीएसटी ई-इन्वॉयसिंग का दायरा बढ़ाने पर विचार कर रही है और सभी इकाइयों को इसकी जद में लाना चाहती है। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सरकार विभागों पर अनुपालन संबंधी दबाव कम करने का आग्रह किया था। विधि समिति ने राज्य सरकार का यह प्रस्ताव मान भी लिया है। इस समिति में केंद्र एवं राज्यों के अधिकारी शामिल होते हैं। सरकार ने जीएसटी कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए ई-इन्वॉयसिंग प्रणाली की शुरुआत की थी और 500 करोड़ रुपये या इससे अधिक कारोबार करने वाली इकाइयों के लिए यह व्यवस्था अनिवार्य कर दी थी। इसके बाद 1 जनवरी से 1 करोड़ या इससे अधिक कारोबारी करने वाली इकाइयां भी इस दायरे में आ गईं। सरकार ने इस वर्ष 1 अप्रैल से बिजनेस-टू-बिजनेस लेनदेन के लिए 50 करोड़ और इससे अधिक कारोबार करने वाली इकाइयों के लिए भी यह व्यवस्था शुरू कर दी।
एक अधिकारी ने कहा, ‘विधि समिति ने ठ्ठ सरकारी विभागों और स्थानीय सरकारी निकायों का ई-इन्वॉयसिंग निर्गत करने की अनिवार्यता से बाहर रखने की सिफारिश की है। कुल बी2बी आपूर्ति में इन विभागों एवं संस्थानों की हिस्सेदारी कम होती है और इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिहाज से भी इनकी अहमियत अधिक नहीं है। जीएसटी परिषद की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जाएगा।’ विधि समिति के आकलन के अनुसार कुल जीएसटी आइडेंटीफिकेशन नंबरर्स (जीएसटीआईएनएस) में सरकारी इकाइयों और विभागों की हिस्सेदारी महज 0.3 प्रतिशत होती है। कुल बी2बी आपूर्ति में इनका हिस्सा भी 1.2 प्रतिशत तक सीमित रखता है। इनके अलावा इनपुट टैक्स क्रेडिट महज 0.59 प्रतिशत है।
जीएसटी परिषद की बैठक 7 महीनों के बाद हो रही है। शुक्रवार को वीडियो-कॉन्फ्रैंसिंग से होने वाली इस बैठक में कोविड-19 से बचाव में काम आने वाली सामग्री पर जीएसटी दरों सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी।
