वालमार्ट समर्थित फोनपे और गूगल समर्थित गूगल पे ने भारत के यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) में मजबूत पकड़ बना ली है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) की ओर से पहली बार जारी अक्टूबर के आंकड़ों के मुताबिक गूगल पे के माध्यम से 85.781 करोड़ ट्रांजैक्शन और फोनपे के माध्यम से 83.988 करोड़ ट्रांजैक्शन हुए हैं और ये दोनों क्रमश: पहले व दूसरे स्थान पर रहे। दोनों भुगतान प्रदाताओं को मिलाकर मात्रा के आधार पर इनकी हिस्सेदारी 82 प्रतिशत से ज्यादा हो गई है।
आंकड़ों के मुतााबिक 1.66 लाख करोड़ रुपये का लेनदेन अक्टूबर महीने में गूगल पे के माध्यम से जबकि 1.68 लाख करोड़ रुपये का लेन देन फोन पे के माध्यम से हुआ है। यह अक्टूबर महीने में यूपीआई के माध्यम से लेनदेन के मूल्य का 86 प्रतिशत है।
नवंबर महीने में गूगल पे के माध्यम से 96.002 करोड़ लेन-देन हुआ था, जिसका मूल्य 1.61 लाख करोड़ रुपये था, उसके बाद फोन पे के माध्यम से 1.75 लाख करोड़ रुपये का 86.84 करोड़ लेन देन हुआ।
भारत के बाजार में कदम रखने वाले व्हाट्सऐप पे के माध्यम से नवंबर में 13.87 करोड़ रुपये के 3 लाख लेन देन हुए। पेटीएम का यूपीआई लेनदेन नवंबर में 26 करोड़ के आंकड़े को पार कर गया, जिससे 28,986.93 करोड़ रुपये का लेन-देन हुआ।
अन्य प्रमुख कारोबारियों में एमेजॉन पे से 3.715 लेन-देन हुए, जिसका मूल्य 3,524.51 करोड़ रुपये है, जबकि एनपीसीआई के अपने भीम ऐप से 2.356 करोड़ ट्रांजैक् शन हुए हैं, जिसका मूल्य 7,472.20 करोड़ रुपये है।
यूपीआई बाजार में गूगल पे, फोनपे और एमेजॉन पे की हिस्सेदारी मात्रा के हिसाब से 96.17 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 94 प्रतिशत है। एनपीसीआई ने अभी हाल ही में यूपीआई के माध्यम से लेनदेन की कुल मात्रा में थर्ड पार्टी ऐप्लीकेशंस (ऐप्स) पर 30 प्रतिशत की सीमा लगाई है, जो 1 जनवरी 2021 से लागू होगा। नियामक के इस फैसले की तमाम लोग यह कहकर आलोचना कर रहे हैं। गूगल पे ने कहा था कि इससे करोड़ों ग्राहकों पर असर पड़ेगा, जो रोजाना के भुगतान में यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। गूगल ने बयान में कहा था कि इससे यूपीआई की आगे की स्वीकार्यता पर असर पड़ सकता है और इससे वित्तीय समावेशन के मकसद पर बुरा असर पड़ सकता है।
