महंगाई ने आंखें तरेरी
मोटे अनाज और सब्जियों के महंगा होने के कारण 25 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में मुद्रास्फीति की दर बढ़कर 10.72 प्रतिशत हो गई।
थोक कीमतों पर आधारित मुद्रास्फीति की दर एक सप्ताह पहले 10.68 प्रतिशत थी। पिछले साल की समान अवधि में यह दर 3.11 प्रतिशत थी। पिछले लगातार पांच हफ्तों के दौरान गिरावट का रुख दर्ज करने के बाद मुद्रास्फीति की दर में मामूली बढ़ोतरी का रुख दर्ज होने की वजह विनिर्मित उत्पादों के दामों में तेजी आना है।
विनिर्मित वस्तुओं के समूह में गुड़ के दाम बढ़ गए, वहीं ऊनी कपड़ों की कीमत में एक फीसदी तक की तेजी दर्ज की गई। इसके अलावा, मोटरसाइकिल और ऑटोरिक्शा सहित आटोमोबाइल की कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई।
…तो लड़खड़ाया देसी बाजार
वैश्विक शेयर बाजारों से मिले गिरावट के संकेतों का असर भारतीय बाजार पर भी दिखा और सेंसेक्स, निफ्टी गिरावट के साथ खुले। हालांकि बाद में बैंकों की ओर से ब्याज दरें घटाने के बाद बाजार में थोड़ी वापसी देखी गई, लेकिन यह सुधार ज्यादा देर तक नहीं टिक सका और महंगाई दर के आंकड़े आते ही इसमें एक बार फिर गिरावट शुरू हो गई।
दरअसल, लगातार पांच हफ्तों से गिरावट पर चल रही महंगाई में इस हफ्ते तेजी आई है। इसका असर बाजार पर भी पड़ा और कारोबार समाप्ति पर बंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स 385.79 अंक लुढ़क कर 9,734.22 के स्तर पर पहुंच गया। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 102.30 अंक नीचे 2,892.65 के स्तर पर बंद हुआ।
इधर जश्न, उधर बाजारों में मातम
एक ओर अमेरिका में डेमोक्रेट ओबामा के राष्ट्रपति बनने का जश्न मनाया जा रहा था, वहीं दूसरी ओर दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश अमेरिका के बाजार धूल चाटते नजर आए। बुधवार को डाऊ जोंस करीब 486 अंक और नैस्डैक 98 अंक नीचं बंद हुआ। इसका असर शुक्रवार को यूरोपीय और एशियाई बाजारों में दिखा।
वॉल स्ट्रीट में मंदी की आशंकाओं के बीच दक्षिण कोरियाई बाजार शुरुआती कारोबार में ही 3.6 फीसदी गिर गया। हांगकांग शेयर बाजार भी 5.1 फीसदी गिरकर खुला और हेंगसेंग इंडेक्स में करीब 7.7 फीसदी गिरावट पर बंद हुआ। जापान के बाजार में भी गिरावट का रुख रहा और शुरुआती कारोबार में ही निक्केई करीब 5.5 फीसदी टूट गया।