अर्थव्यवस्था

जेनरेटिव AI से GDP में सैकड़ों अरब डॉलर की बढ़ोतरी होगी: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

वित्त वर्ष 2029-30 तक जेनरेटिव एआई से भारत की जीडीपी में $438 अरब का संभावित योगदान: आरबीआई डिप्टी गवर्नर

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अंजलि कुमारी   
Last Updated- November 13, 2024 | 10:21 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र के अनुसार वित्त वर्ष 2029-30 तक जेनरेटिव आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) से भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 359 अरब डॉलर से 438 अरब डॉलर के बीच अतिरिक्त राशि जुड़ने का अनुमान है। भारतीय कंपनियों का उत्पादन प्रक्रिया में एआई अपनाना वर्ष 2023 के आठ फीसदी से बढ़कर वर्ष 2024 में 25 फीसदी हो गया है।

उन्होंने जयपुर में आयोजित डीईपीआर सम्मेलन ‘डिजिटल तकनीक, उत्पादकता और आर्थिक वृद्धि’ में कहा, ‘भारत वृद्धि के नए अवसरों को हासिल करने की स्थिति में है और अपने डिजिटल आधारभूत ढांचे (डीपीआई), मजबूत सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र (आईटी) और सबसे बड़े एआई प्रतिभा कौशल आधार सहित बढ़ती युवा आबादी का उपयोग कर संभावनाओं के नए द्वार खोल सकता है।

अनुमानों के अनुसार साल 2029-30 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में जेनरेटिव एआई 359 अरब डॉलर से 438 अरब डॉलर का अतिरिक्त योगदान दे पाएगी। भारतीय कंपनियों का उत्पादकता प्रक्रिया में एआई को अपनाना 2023 के आठ फीसदी से बढ़कर 2024 में 25 फीसदी हो गया है।’भारतीय बैंकों के सर्वेक्षणों के सूक्ष्म स्तर प्रमाणों के अनुसार सभी बैंकों ने मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग को लागू कर दिया है।

इनमें से 75 प्रतिशत बैंक ऑनलाइन खाता खोलने, डिजिटल केवाईसी और डिजिटल आधारित घर पर बैंकिंग की सुविधाएं बैंक मुहैया कराते हैं। इसके अलावा 60 फीसदी डिजिटल उधारी, 50 फीसदी भुगतान एग्रीगेटर सेवाएं, 41 फीसदी चैटबोट्स, 24 फीसदी ओपन बैंकिंग और 10 फीसदी एकीकृत इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तकनीक मुहैया करवाते हैं।

पात्र ने कहा, ‘निजी क्षेत्र के बैंक इन तकनीकों को अपनाने में आगे हैं।’ उन्होंने कहा कि पूरक नीतियां डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रस्तावित उत्पादकता लाभ प्राप्त करके नई विकास ऊर्जा की संभावनाओं का द्वार खोलने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इसके अलावा अन्य प्राथमिकताएं भी हैं। पात्र ने कहा कि जेनरेटिव एआई से अगले तीन वर्षों में वैश्विक जीडीपी में 7 से 10 लाख करोड़ डॉलर का इजाफा होने का अनुमान है। अकेले व्यापक भाषा मॉडलों के कारण ही कामगारों की उत्पादकता 8 से 36 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है।

डिजिटल तकनीक में बढ़ते कारोबारी निवेश के कारण डिजिटल सेवाओं और अमूर्त पूंजी की बढ़ती भूमिका से उत्पादकता पैटर्न तेजी से आकार ले रहे हैं। सूचना और संचार तकनीक (आईसीटी) सहित डिजिटल परिसंपत्तियों के मूल्यों में निरंतर गिरावट आ रही है। इससे कारोबार अधिक समुचित ढंग से संचालन कर पा रहे हैं और वे प्रतिस्पर्धी उत्पाद व सेवाएं मुहैया करवा पा रहे हैं।

वित्तीय मध्यस्थता बढ़ाने, कई तरह के वित्तीय उत्पादों व सेवाओं में विस्तार, सेवाएं मुहैया कराने की दक्षता में सुधार और जोखिम को कम करने के डिजिटल टूल्स से तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिलता है। तकनीकी नवाचार उत्पादकता को बढ़ावा देती है। इसके अलावा डिजिटलीकरण से सीमा पार वित्तीय आदान-प्रदान की संभावित सुविधा, लागत में कमी और त्वरित व पारदर्शिता के साथ धन भेजने में मदद मिलती है।

First Published : November 13, 2024 | 10:21 PM IST