अर्थव्यवस्था

GDP समीक्षा: सर्विस सेक्टर और निजी निवेश से मिली अर्थव्यवस्था को मजबूती

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अरूप रायचौधरी   
Last Updated- May 28, 2023 | 8:37 PM IST

वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में देश की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में तिमाही और सालाना आधार पर अच्छी बढ़ोतरी की उम्मीद है। विश्लेषकों ने कहा कि यह मुख्य रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार की बदौलत हो सकता है जो खपत के बेहतर रुझान और निजी निवेश में उत्साहजनक वृद्धि को दर्शाता है।

वित्त वर्ष 2023 की तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर 4.4 फीसदी रही थी जबकि वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर 4 फीसदी रही थी। वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही और पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के आंकड़े राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा बुधवार को जारी किए जाएंगे।

भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आ​र्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘SBI ने प्रमुख क्षेत्रों के 30 उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों के आधार पर वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 5.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। इस हिसाब से पूरे वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की वृद्धि दर 7.1 फीसदी रह सकती है।’

घोष ने कहा कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए सिरे से उछाल के संकेत हैं जबकि बेहतर दक्षता को अपनाने से सेवा क्षेत्र के प्रदर्शन में भी सुधार हुआ है। उन्होंने कहा, ‘भारत में घरेलू खपत और निवेश को कृ​षि एवं संबं​धित गतिवि​धियों की मजबूत संभावनाओं, कारोबार और उपभोक्ता आत्मविश्वास में मजबूती और मजबूत उधारी मांग का लाभ मिल रहा है।’

पिछले हफ्ते रॉयटर्स ने 56 अर्थशास्त्रियों के बीच GDP वृद्धि पर सर्वेक्षण कराया था जिसमें कहा गया था कि वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में GDP वृद्धि दर 5 फीसदी रह सकती है। इससे पहले अप्रैल में 45 अर्थशास्त्रियों के सर्वेक्षण में वित्त वर्ष 2023 में 6.9 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया गया था। हालांकि अब अ​धिकांश विश्लेषकों का मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में देश के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर कम से कम 7 फीसदी या इससे थोड़ा अ​धिक रह सकती है। मनीकंट्रोल ने 15 अर्थशास्त्रियों के बीच सर्वेक्षण कराया था जिसमें पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में GDP वृद्धि दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था।

IDFC First Bank की भारत में अर्थशास्त्री गैारा सेनगुप्ता ने कहा, ‘विकास दर में सुधार बरकरार है और वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर 5.1 फीसदी रह सकती है जो तीसरी तिमाही में 4.4 फीसदी थी। वृद्धि में सुधार मुख्य रूप से व्यापार, होटल और परिवहन जैसे सेवा क्षेत्र के साथ ही सरकारी व्यय में तेजी से होने का अनुमान है।’ सेनगुप्ता का मानना है कि वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी की वृद्धि दर 7 फीसदी रहेगी। राष्ट्रीय सां​ख्यिकी कार्यालय ने भी पिछले वित्त वर्ष के लिए 7 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।

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सेनगुप्ता ने कहा कि खपत में सुधार को भले ही शहरी क्षेत्रों से रफ्तार मिल रही है लेकिन ग्रामीण खपत में भी सुधार के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं। वास्तविक ग्रामीण वेतन में सकारात्मक वृद्धि और काफी हद तक केंद्र सरकार के खर्च पर निर्भर पूंजीगत खर्च चक्र में सुधार होने से ग्रामीण खपत को बल मिला है। इसके अलावा निजी क्षेत्र की क्षमता उपयोगिता में सुधार होने से भी मदद मिली है।

सेनगुप्ता ने कहा कि पूंजीगत खर्च चक्र के संकेतकों से पता चलता है कि पूंजीगत वस्तु आयात में (चौथी तिमाही में एक साल पहले की समान अव​धि के मुकाबले 10.8 फीसदी), इस्पात की खपत में (चौथी तिमाही में एक साल पहले की समान अव​धि के मुकाबले 17.1 फीसदी) और पूंजी एवं ​बुनियादी ढांचा उत्पादन में तेजी के साथ सुधार की रफ्तार बरकरार है।

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर श​क्तिकांत दास ने पिछले सप्ताह कहा था कि वित्त वर्ष 2023 में जीडीपी वृद्धि 7 फीसदी से अ​धिक हो सकती है। उन्होंने कहा था, ‘सभी हालिया रुझानों के अनुसार, पिछले साल के लिए जीडीपी वृद्धि यदि आ​धिकारिक अनुमान से बेहतर होगी तो अचरज की बात नहीं होगी। चौथी तिमाही के लिए सभी आ​र्थिक संकेतकों से पता चलता है कि आ​र्थिक गतिवि​धियों में तेजी बरकरार है।’

वित्त मंत्रालय ने अपनी ताजा मासिक आ​र्थिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि आ​र्थिक गतिविधियों में लगातार हो रही वृद्धि को देखते हुए कंपनियां अपनी क्षमता विस्तार पर निवेश कर रही हैं। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही के दौरान 60,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पूरी हुईं और 10.9 लाख करोड़ रुपये की नई परियोजनाओं की घोषणा की गई।

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बहरहाल, कुछ विश्लेषकों ने सुधार के बारे में चिंता भी जताई है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में आ​र्थिक गतिवि​धि एकसमान नहीं रही। सेवाओं की घरेलू मांग वस्तुओं के मुकाबले कहीं अ​धिक रही। साथ ही निर्यात के मोर्चे पर भी वस्तुओं के मुकाबले सेवाओं की अ​धिक मांग अचं​भित करने वाली थी।’

नायर ने कहा कि जिंस (कमोडिटी) कीमतों में नरमी से कुछ क्षेत्रों को मार्जिन के मोर्चे पर राहत मिली जबकि निवेश गतिवि​धियों और सरकारी खर्च का रुझान मिलाजुला रहा।

First Published : May 28, 2023 | 8:37 PM IST