अर्थव्यवस्था कोविड पूर्व के स्तर की तुलना में शानदार ढंग से बढ़ी है लेकिन चार साल के बाद भी खनन क्षेत्र उबर नहीं पाया है। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 2022-23 में इस खंड के सकल मूल्य वर्धन (GVA) में 4.6 फीसदी की वृद्धि हुई है। हालांकि 2018-19 की तुलना में 2022-23 में मूल्य के संदर्भ में 0.6 फीसदी की गिरावट आई। हालांकि खनन क्षेत्र में कोरोना पूर्व के 2019-20 के GVA में सालाना आधार पर गिरावट हुई लेकिन 2019-20 की तुलना में 2022-23 में 2.4 फीसदी की वृद्धि हुई।
2018-19 की तुलना में 2022-23 की पहली तीन तिमाहियों में खनन में गिरावट आई। इसमें दूसरी तिमाही में गिरावट बढ़कर 5.4 फीसदी हो गई। हालांकि पहली और दूसरी तिमाही में क्रमश 1.4 फीसदी और 1.6 फीसदी की गिरावट आई। 2022-23 की दूसरी तिमाही में सालाना आधार पर 0.1 फीसदी की गिरावट आई और 2019-20 की तुलना में अधिक 0.4 फीसदी की गिरावट आई। दूसरी तरफ कोविड से पूर्व के स्तर की तुलना में 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में दो अंकों में वृद्धि हुई। यह सालाना आधार पर 7.2 फीसदी की दर से बढ़ा। हालांकि 2019-20 की तुलना में 10.12 की वृद्धि हुई और 2018-19 की तुलना में 14.4 फीसदी की वृद्धि हुई।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस और धातुओं जैसे तांबा और लौह अयस्क में इन उत्पादों की प्रकृति के कारण असामान्य वृद्धि हुई। इस क्रम में मूल्य अधिक बढ़ने के कारण कच्चे तेल का उत्पादन अधिक हुआ कई उत्पादों के दाम गिरने के कारण कंपनियों ने उत्पादन कम किया।
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उन्होंने कहा, ‘साथ ही कुछ ही क्षेत्रों में संभावनाएं खोजी गईं, जिसकी वजह से वृद्धि सीमित रही। कोयला संभवतः एकमात्र खनिज है, जिसमें बेहतर वृद्धि हुई है। हालांकि इस क्षेत्र में भी हड़ताल, बारिश के साथ परिवहन जैसे लॉजिस्टिक्स जैसे मसले सामने आए। गुणवत्ता में अंतर के कारण हम कोयले का ज्यादा आयात करते हैं और इसलिए उत्पादन में उतार चढ़ाव होता है।’
जीवीए में मूल्यवर्धन महत्त्वपूर्ण होता है। अन्यथा मात्रा के हिसाब से खनन का उत्पादन 2022-23 में पिछले साल से 5.8 प्रतिशत, 2019-20 की तुलना में 9.4 प्रतिशत बढ़ा है।