चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि थोड़ी नरम रह सकती है। विश्लेषकों ने कहा कि आम चुनाव और उच्च आधार प्रभाव के कारण वृद्धि के मुख्य घटकों में नरमी के कारण जीडीपी वृद्धि पर असर दिख सकता है। वित्त वर्ष 2024 की चारों तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 7.5 फीसदी से अधिक रही थी। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में 7.1 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े शुक्रवार को जारी करेगा। केयर रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि घटकर 6.1 फीसदी रह सकती है। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल कमजोर मॉनसून से जलाशयों में पानी का स्तर कम रहने तथा गर्मियों में लू के कारण उत्पादकता प्रभावित होने से कृषि क्षेत्र पर इसका असर दिखेगा। रबी का उत्पादन 15.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो पिछले साल के 15.78 करोड़ टन से थोड़ा कम है।’
इसके अलावा औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आंकड़ों से संकेत मिलता है कि विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि भी थोड़ी नरम रह सकती है। सीमेंट उत्पादन कम रहा है जिसका असर निर्माण क्षेत्र में भी दिख सकता है।
आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के जीडीपी वृद्धि अनुमान इससे पिछली तिमाही की तुलना में कम रहेगी। विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि और सरकारी खर्च में कमी के साथ ही कंपनियों के नतीजे भी इस ओर संकेत दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि पहली तिमाही में जीडीपी वद्धि 6.5 फीसदी रह सकती है।’
इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि लोक सभा चुनावों और सरकारी खर्च में कमी के कारण पहली तिमाही के दौरान कुछ क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां नरम रही हैं। उन्होंने कहा, ‘जिंसों की नरम कीमतों से कम लाभ के साथ वॉल्यूम कम रहने से कुछ औद्योगिक क्षेत्रों के मुनाफे पर असर पड़ा है। प्रचंड लू से बिजली की मांग तो बढ़ी है मगर सेवा क्षेत्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल मूल्यवर्द्धन वृद्धि 5.7 और जीडीपी वृद्धि दर 6 फीसदी रह सकती है।’
इसके अलावा दोपहिया, यात्री वाहनों की बिक्री तथा पेट्रोल-डीजल की खपत अप्रैल-जून तिमाही में कम रही है। हालांकि घरेलू हवाई यात्रा में 5.5 फीसदी की वृद्धि देखी गई।
सिन्हा ने कहा, ‘आरबीआई के उपभोक्ता भरोसे का आंकड़ा कम रहने और यात्री वाहनों की बिक्री घटने से खपत मांग को लेकर चिंता बढ़ी है। इसके साथ ही पहली तिमाही में सरकारी खर्च भी घटा था और इन सबका असर जीडीपी वृद्धि में दिख सकता है।’
इस बीच इंडिया रेटिंग्स के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराई ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था केंद्रीय बैंक के अनुमान से आगे रहेगी और पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.5 फीसदी रह सकती है क्योंकि औद्योगिक सकल मूल्यवर्द्धन पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही की तुलना में अधिक रहने की उम्मीद है।