वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर बढ़कर 7.4 फीसदी पर पहुंच गई जो चार तिमाही में सबसे अधिक है। इससे पूरे वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अनुमान के मुताबिक 6.5 फीसदी रही। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अंतरिम अनुमान में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने की उम्मीद जताई गई थी। हालांकि चौथी तिमाही की वृद्धि दर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 7.2 फीसदी और अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए रॉयटर्स के सर्वेक्षण के अनुमान 6.7 फीसदी से अधिक रही।
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वित्त वर्ष 2025 में नॉमिनल जीडीपी 9.8 फीसदी बढ़कर 330.7 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि बजट में इसके 324.1 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था। इससे सरकार को वित्त वर्ष 2025 के लिए राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.77 फीसदी पर सीमित रखने में मदद मिली जबकि राजकोषीय घाटे का संशोधित अनुमान 4.84 फीसदी था।
सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) की वृद्धि जीडीपी की तुलना में धीमी रही और जनवरी-मार्च तिमाही में जीवीए वृद्धि 6.8 फीसदी रही। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि डॉनल्ड ट्रंप के शुल्क युद्ध से व्यापार अनिश्चितता और कमजोर शहरी मांग वित्त वर्ष 2026 में भारत के वृद्धि परिदृश्य को आकार देगी। हालांकि आरबीआई द्वारा आगे रीपो दर में और कटौती से आर्थिक सुधार को मदद मिल सकती है।
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वित्त मंत्रालय के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में अर्थव्यवस्था की बढ़ी रफ्तार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी बनी हुई है और आगे भी अच्छे संकेत दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि मजबूत औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां, ब्याज दर में कटौती और सरकार द्वारा कर राहत से कुल खपत मांग को भी बढ़ावा मिलेगा।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि वृद्धि दर वित्त वर्ष 2024 के 9.2 फीसदी से कम हुई है। हालांकि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही की नरमी से अर्थव्यवस्था उबरती दिख रही है। दूसरी छमाही में औसत जीडीपी वृद्धि 6.9 फीसदी रही जबकि पहली छमाही में यह 6.1 फीसदी थी। सरकार के पूंजीगत खर्च बढ़ने, निर्माण गतिविधियों में तेजी, कृषि के अच्छे प्रदर्शन और सेवा क्षेत्र में मजबूती से दूसरी छमाही में जीडीपी वृद्धि में तेजी आई।
वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 5.4 फीसदी रही। विनिर्माण क्षेत्र में 4.8 फीसदी और निर्माण क्षेत्र में 10.8 फीसदी की वृद्धि देखी गई। सेवा क्षेत्र 7.3 फीसदी की दर से बढ़ा। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में शुद्ध निर्यात सकारात्मक रहा। बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘निर्यात में 8.3 फीसदी की वृद्धि मुख्य रूप से सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन की बदौलत आई है क्योंकि वस्तुओं का निर्यात लगभग सपाट रहा है।’
इंडिया रेटिंग्स के एसोसिएट डायरेक्टर पारस जसराई ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों के अपने पूंजीगत व्यय के लक्ष्यों को पूरा करने की हड़बड़ी के साथ निजी क्षेत्र ने भी निवेश मांग को सहारा दिया। निवेश मांग में तेजी महत्त्वपूर्ण है लेकिन आर्थिक अनिश्चितता और कमजोर प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को देखते हुए इस पर नजर रखने की जरूरत है।’
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केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि निजी खपत मजबूत बना हुआ है और ग्रामीण मांग को अनुकूल कृषि उत्पादन और कम होती महंगाई से सहारा मिलने की उम्मीद है। शहरी मांग का रुख मिला-जुला है। उन्होंने कहा, ‘उदाहरणों से पता चलता है कि कम वेतन वृद्धि से शहरी खपत में कमी आई है। खपत में देखी गई असमानता आगे महत्वपूर्ण रूप से देखने योग्य बनी हुई है। बेहतर मॉनसून की संभावना, जलाशय का स्तर अच्छा रहने और कृषि उत्पादन बढ़ने के अनुमान के चलते ग्रामीण मांग में मजबूती बनी रहने की उम्मीद है।’