वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में खपत मांग भले ही धीमी होकर 5 तिमाही के निचले स्तर पर आ गई हो मगर पूरे वित्त वर्ष 2025 में निजी अंतिम खपत व्यय (पीएफसीई) में वृद्धि ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि को पीछे छोड़ दिया। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा आज जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025 में निजी अंतिम खपत व्यय 7.2 फीसदी बढ़ा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 5.6 फीसदी बढ़ा था। नॉमिनल जीडीपी में इसका हिस्सा बढ़कर 61.4 फीसदी रहा जो वित्त वर्ष 2024 में 60.2 फीसदी था।
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मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने संवाददाताओं को बताया कि वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी में खपत का हिस्सा वित्त वर्ष 2005 (61.5 फीसदी) के बाद सबसे अधिक रहा है। उन्होंने कहा, ‘आंकड़ों से पता चलता है कि घरेलू मांग मजबूत है। जीडीपी में निजी खपत का हिस्सा दो दशक में सबसे अधिक हो गया है।’
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने कहा कि खपत वृद्धि ने जीपीडी वृद्धि को पीछे छोड़ दिया। यह मुख्य रूप से मजबूत कृषि क्षेत्र द्वारा समर्थित ग्रामीण मांग से प्रेरित है। उन्होंने कहा, ‘चौथी तिमाही में निवेश में तेजी ने निवेश वृद्धि दर को भी जीडीपी वृद्धि से ऊपर ला दिया।’
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा का कहना है कि निजी खपत मजबूत है और ग्रामीण मांग को अनुकूल कृषि उत्पादन और कम होती महंगाई से सहारा मिलने की उम्मीद है। शहरी मांग का रुख मिलाजुला है।