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6,000 करोड़ रुपये की फंडिंग जरूरत का अनुमान

Last Updated- December 12, 2022 | 3:20 AM IST

राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी (एनएआरसीएल) ने अपनी कुल पूंजी आवश्यकता 6,000 करोड़ रुपये बताई है। निवेशकों के साथ साझा किए गए प्रस्तावों के मुताबिक नई एआरसी में शेयरधारक की भूमिका में रहने वाले बैंकों और वित्तीय संस्थाओं से 6,000 करोड़ रुपये की इक्विटी और ऋण आवश्यकताओं दोनों में साझेदारी करने का अनुरोध किया गया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने जिस प्रस्ताव की समीक्षा की है उसके मुताबिक पूंजी की फंडिंग ढांचे में ऋण और इक्विटी का अनुपात 1:1 का रहने वाला है। इसे संपत्ति पुनर्गठन कंपनी के निवेशकों द्वारा जुटाये जाने का प्रस्ताव है। एनएआरसीएल के इक्विटी शेयरधारकों को अनिवार्य रूप से अपनी साझेदारी के समान अनुपात में ऋण की सदस्यता लेनी होगी।    
एनएआरसीएल ने अपनी पूंजी जरूरतों को पूरा करने के लिए करीब 7-8 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, पांच निजी क्षेत्र के बैंकों और दो वित्तीय संस्थाओं- पावर फाइनैंस कॉर्पोरेशन (पीएफसी) और ग्रामीण विद्युतीकरण निगम (आरईसी) से उम्मीद लगाई है। प्रस्तावित निजी बैंकों में कोटक महिंद्रा बैंक, आईडीबीआई बैंक, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एचडीएफसी बैंक शामिल हैं।
हालांकि दोनों वित्तीय संस्थाएं जिनका ताल्लुक बिजली क्षेत्र से है, एनएआरसीएल की पूंजी में समान रूप से योगदान करने को लेकर चौकन्ना हैं। वरिष्ठ कार्यकारियों का कहना है कि चूंकि एनएआरसीएल की संपत्तियों की सूची में पीएफसी की कोई संपत्ति नहीं है और आरईसी की एक संपत्ति है लिहाजा वे अधिक निवेश करने को लेकर उत्सुक नहीं हैं। एक वरिष्ठ कार्यकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘यही कारण है कि पीएफसी प्रायोजक बनने के लिए तैयार नहीं हुई। आरईसी निवेश करना चाहती है लेकिन पीएफसी के पास धन की कमी है खास तौर पर आरईसी में केंद्र की हिस्सेदारी खरीदने के बाद उसके पास पैसे की और कमी हो गई है। वह उतना निवेश नहीं कर सकती है जितना कि उससे अधिक एनपीए बोझ वाले बैंक कर सकते हैं। दूसरा कारण है कि दोनों वित्तीय संस्थाओं ने अपने ज्यादातर एनपीए खातों का समाधान किया है।’
प्रायोजक बनने के लिए पीएफसी के इनकार के बाद केनरा बैंक को एनएआरसीएल का प्रायोजक बनाने के लिए आगे लाया गया था।    
एनएआरसीएल की पूंजीगत लागत जरूरत 2 लाख करोड़ रुपये के दबावग्रस्त ऋणों के अधिग्रहण लागत पर आधारित है जो कि 20 फीसदी या 40,000 करोड़ रुपये बैठता है। इस 40,000 करोड़ रुपये में से नकदी की जरूरत 15 फीसदी या 6,000 करोड़ रुपये अनुमानित है जबकि शेष 34,000 करोड़ रुपये बैंकों के विवरणों में प्रतिभूति प्राप्तियों के रूप में रहेगा।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि प्रतिभूति प्राप्तियों को इसके अंकित मूल्य तक पांच वर्ष के लिए केंद्र सरकार की गारंटी रहेगी। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि सरकार पांच वर्ष की अवधि के लिए प्रतिभूति प्राप्तियों पर 31,000 करोड़ रुपये की गारंटी मुहैया कराएगी। उक्त प्रस्ताव के मुताबिक इसके लिए एनएआरसीएल सरकार को अनुमानित तौर पर करीब 6,00 करोड़ रुपये गारंटी शुल्क के तौर पर देगी। रिकवरी की बात करें तो एनएआरसीएल को 2 लाख करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति के पहले सेट से पांच वर्ष में 28 फीसदी यानी 56,000 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।    एआरसी में पूंजी का निवेश चरणबद्घ तरीके से और कंपनी द्वारा दबावग्रस्त संपत्तियों के अधिग्रहण के हिसाब से किया जाएगा। आरंभ में एनएआरसीएल को एआरसी लाइसेंस के आवेदन के लिए 100 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। अब तक बैंकों ने सामूहिक रूप से ऐसे 22 खातों की पहचान की है जिन्हें एनएआरसीएल को हस्तांतरित किया जाएगा। इन खातों की कुल संपत्ति 89,000 करोड़ रुपये है।

First Published - June 25, 2021 | 12:11 AM IST

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