फिच रेटिंग ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत की वृद्धि का अनुमान 10 आधार अंक घटाकर 6.4 प्रतिशत कर दिया है। अमेरिकी शुल्क की घोषणा और व्यापार युद्ध बढ़ने की आशंका को देखते हुए रेटिंग एजेंसी ने अपना मार्च का अनुमान घटाया है। हालांकि फिच ने वित्त वर्ष 2026-27 के लिए भारत की वृद्धि का अनुमान 6.3 प्रतिशत बरकरार रखा है।
फिच रेटिंग ने अपने ग्लोबल इकनॉमिक आउटलुक अप्रैल 2025 में कहा कि वैश्विक वृद्धि गिरकर इस साल 2 प्रतिशत से नीचे रह सकती है और महामारी के दौर को छोड़कर यह 2009 के बाद की सबसे सुस्त वृद्धि होगी। अपने मार्च के अपडेट में रेटिंग एजेंसी ने कहा था कि अमेरिका की व्यापार नीतियां उम्मीद से ज्यादा आक्रामक होना उसके अनुमान में एक महत्त्वपूर्ण जोखिम है, लेकिन बाहरी मांग पर कम निर्भरता के कारण भारत इससे कुछ बचा हुआ है।
अप्रैल के आउटलुक में अनुमान लगाया गया है कि चीन की वृद्धि दर गिरकर इस साल और अगले साल 4 प्रतिशत से नीचे रहेगी, वहीं यूरो जोन 1 प्रतिशत से नीचे पर बना रहेगा। रिपोर्ट में अमेरिका के बारे में कहा गया है कि वृद्धि 2025 में धनात्मक क्षेत्र में 1.2 प्रतिशत पर बनी रहेगी, लेकिन चौथी तिमाही में सालाना आधार पर वृद्धि दर घटकर महज 0.4 प्रतिशत रह सकती है।
आर्थिक समीक्षा में अनुमान लगाया गया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्त वर्ष 2025-26 में 6.3 से 6.8 प्रतिशत के बीच रहेगी। आधिकारिक अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत होगी। जुलाई-सितंबर 2024 तिमाही में देश की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर सुस्त होकर 5.4 प्रतिशत रही है, जबकि उसके बाद की तिमाही में सुधरकर 6.2 प्रतिशत रही। मूडीज रेटिंग्स ने भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए घटाकर 5.5 प्रतिशत से 6.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है।