भारत की अर्थव्यवस्था में दूसरी छमाही में उम्मीद से तेज सुधार की वजह से रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में संकुचन का अनुमान घटाकर 9.4 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 10.5 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया था।
बहरहाल एजेंसी ने निवेश की कमजोर मांग को लेकर चेतावनी दी है क्योंकि कोविड-19 की वजहसे अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और वित्तीय क्षेत्र में संपत्ति की गुणवत्ता खराब होने के साथ बैंकों के कर्ज में वृद्धि रुक गई है।
भारत ने कोविड टीके की 1.6 अरब खुराक का पहले ही ऑर्डर दे दिया है, लेकिन ऐसा नहीं लगता कि 12 महीनों में भी ज्यादातर लोगों तक यह पहुंच पाएगा। इसमें यह भी कहा गया है कि क्षेत्रीय बंदी कुछ और महीने रह सकती है क्योंकि वायरस अभी भी फैल रहा है। अपने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में फिच ने कहा, ‘अब हम उम्मीद करते हैं कि वित्त वर्ष 21 में जीडीपी में 9.4 प्रतिशत संकुचन आएगा और उसके बाद के वर्षों में क्रमश: 11 प्रतिशत और 6.3 प्रतिशत की वृद्धि होगी।’
वित्त वर्ष 21 के लिए अनुमान 2019-20 में 4.2 प्रतिशत जीडीपी वृद्धि दर और 2015 से 2019 के बीच औसतन 6.7 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर के हिसाब से लगाया गया है।
वित्त वर्ष 22 के लिए एजेंसी ने वृद्धि दर के अनुमान में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन उसके अगले साल की वृद्धि दर 0.3 प्रतिशत बढ़ा दिया है।
इसमें कहा गया है कि कोरोनावायरस के कारण आई मंदी से अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा है और देश को बैलेंस शीट दुरुस्त करने और दीर्घावधि योजना को लेकर सावधानी बढ़ाने की जरूरत है।
रेटिंग एजेंसी ने कहा है, ‘बैलेंस शीट में सुधार की जरूरत, दीर्घावधि योजनाओं को लेकर सावधानी बढ़ाने और फर्में बंद होने से निवेश मांग सीमित होगी। इसके अलावा संपत्ति की गुणवत्ता खराब होने के कारण वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियां बढऩे से कर्ज के प्रावधान में ठहराव आएगा।’
हाल के सप्ताह में एक और बैंक (लक्ष्मी विलास बैंक) की विफलता पिछले 16 महीनों मेंं तीसरी विफलता है, जो वित्तीय क्षेत्र की चुनौतियों के संकेत देता है। सितंबर में फिच ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि दर के अनुमान को बहुत तेजी से घटाकर चालू वित्त वर्ष 2020-21 में 10.5 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया था, जबकि उसके पहले एजेंसी ने 5 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया था।
आज फिच ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था में जुलाई से सितंबर के दौरान कोरोना के कारण आई मंदी में तेजी से सुधार हुआ है। जीडीपी में इस दौरान 7.5 प्रतिशत की गिरावट रह गई, जबकि अप्रैल जून तिमाही में 23.9 प्रतिशत गिरावट आई थी। इसने कहा है, ‘सुधार की गतिविधियां खासकर विनिर्माण क्षेत्र में तेज रही हैं, जिसमें उत्पादन जुलाई सितंबर के दौरान महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच गया। साथ ही विनिर्माण पीएमआई ने आगे और सुधार के संकेत दिए हैं।’ एजेंसी ने कहा कि विनिर्माण में तेजी खासकर वाहन व फार्मा उत्पादों की मजबूत मांग के कारण है।
सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से सेवा क्षेत्र में सुधार सुस्त है और इस क्षेत्र में धीरे धीरे स्थिति सुधरने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।
इसने कहा है, ‘2021 में विभिन्न वैक्सीन आने की उम्मीद से परिदृश्य बेहतर लग रहा है। भारत ने 1.6 अरब वैक्सीन खुराक का ऑर्डर पहले ही दे दिया है, जिसमें ऑक्सफर्ड एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के 50 करोड़ डोज शामिल हैं। इसके वितरण के बाद सोशल डिस्टेंसिंग के प्रतिबंध आसान होंगे और कारोबारी धारणा में सुधार होगा।’
फिच ने कहा है कि बहरहाल ऐसा लगता है कि अगले 12 महीने में भी वैक्सीन ज्यादातर भारतीयों तक नहीं पहुंच पाएगी क्योंकि भारत जैसी ज्यादा आबादी वाले देश में बड़े पैमाने पर लॉजिस्टिक और वितरण संबंधी चुनौतियां हैं।
क्षेत्रीय स्तर पर बंदी अगले कुछ महीनों तक बनी रह सकती है, क्योंकि वायरस अभी भी फैल रहा है। हाल के महीनों में उपभोक्ता मूल्य में बढ़ोतरी हुई है, क्योंकि आपूर्ति में व्यवधान है।
फिच ने कहा है, ‘अब महंगाई शीर्ष पर है और बेस इफेक्ट पक्ष में होने और आपूर्ति संबंधी बाधाएं दूर होने के कारण इसमें अब तेजी से गिरावट शुरू होगी। इससे रिजर्व बैंक को 2021 में ब्याज दरों में कटौती करने में मदद मिल सकती है।’फिच का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में उपभोक्ता मूल्य पर आधारित महंगाई दर 4.9 प्रतिशत रहेगी, जो अगले वित्त वर्ष में घटकर 3.5 प्रतिशत रह जाएगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था के बारे में भी एजेंसी ने जीडीपी में गिरावट का अनुमान घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है, जबकि सितंबर के अनुमान में 4.4 प्रतिशत संकुचन का अनुमान लगाया गया था।
