केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर महीने के अंत तक बढ़कर 9.53 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो सालाना बजट अनुमान का करीब 120 फीसदी है।
यह घाटा मुख्य रूप से कम राजस्व प्राप्ति की वजह से बढ़ा है। कोरोनावायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से कारोबारी गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई थीं, जिससे राजस्व प्राप्ति सुस्त पड़ गई। राजकोषीय घाटा सितंबर 2020 के अंत में सालाना बजट अनुमान का करीब 114.8 फीसदी था।
महालेखा नियंत्रक (सीजीए) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक राजकोषीय घाटा अक्टूबर के अंत में 9,53,154 करोड़ रुपये था, जो सालाना बजट अनुमानों का 119.7 फीसदी है। वित्त वर्ष 2019-20 के पहले सात महीनों में घाटा सालाना लक्ष्य का 102.4 फीसदी था। राजकोषीय घाटा या व्यय एवं राजस्व का अंतर इस साल जुलाई में ही सालाना लक्ष्य को पार कर गया था।
सरकार को अक्टूबर तक 7,08,300 करोड़ रुपये की प्राप्ति हुई है, जो 2020-21 में कुल प्र्राप्तियों के बजट अनुमान का 31.54 फीसदी है। इसमे 5,75,697 करोड़ रुपये कर राजस्व (शुद्ध केंद्र को प्राप्त), 1,16,206 करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व और 16,397 करोड़ रुपये की गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियां शामिल हैं।
गैर-ऋण पूंजी प्राप्तियों मेंं 10,218 करोड़ रुपये ऋणों की वसूली और 6,179 करोड़ रुपये विनिवेश राशि शामिल है। वित्त वर्ष 2019-20 की अप्रैल से अक्टूबर तक की अवधि में कुल प्राप्तियां सालाना लक्ष्य की करीब 45 फीसदी थीं।
चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर तक केंद्र सरकार ने करों के बंटवारे के तहत राज्यों को 2,97,174 करोड़ रुपये राज्यों को हस्तांतरित किए हैं। बंटवारे की राशि पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 69,697 करोड़ रुपये कम थी।
चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर तक केंद्र सरकार का व्यय 16,61,454 करोड़ रुपये रहा है, जो 2020-21 के बजट अनुमान का 54.61 फीसदी है। आंकड़ों के मुताबिक इस कुल राशि में 14,64,099 करोड़ रुपये राजस्व खाते और पूंजीगत खाते से 1,97,355 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
