भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में उम्मीद से अधिक रफ्तार से सुधार होगा। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकड़े जारी होने के एक दिन पहले आरबीआई गवर्नर का यह बयान आया है। दास ने कहा कि भारत ही नहीं दुनिया के बाकी देशों में भी सुधार की दर तेज रहने की उम्मीदें अब जताई जाने लगी हैं। उन्होंने कहा कि यह देखकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) भी वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर के अपने अनुमानों में संशोधन कर रहा है। लेकिन भारत और दुनिया के विकसित देशों में कोविड-19 संक्रमण दोबारा बढऩे से जोखिम बरकरार है।
केंद्रीय बैंक अगले सप्ताह अपनी मौद्रिक नीति की घोषणा करने वाला है। इसमें आरबीआई आर्थिक वृद्धि दर को लेकर अपना अनुमान जारी कर सकता है। विश्लेषकों का कहना है कि आरबीआई दरों में और कमी नहीं कर सकता क्योंकि ब्याज दरों में कमी का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाया है। विश्लेषकों के अनुसार धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था में सुधार दिख रहा है और ऐसे में दरों में और कटौती से फिलहाल कोई लाभ नहीं मिलेगा। दास ने फॉरेन एक्सचेंज डीलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की चौथी सालाना बैठक में अर्थव्यवस्था में चौतरफा सुधार पर संतुष्टि जताई। दास ने कहा, ‘पहली तिमाही में 23.9 प्रतिशत फिसलने के बाद दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियां सामान्य बनाए जाने की दिशा में तेज प्रयास हुए हैं। इस दौरान देश की अर्थव्यवस्था ने उम्मीद से अधिक तेज गति से सुधार दर्ज किया है।’
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि तीसरी तिमाही में वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में उम्मीद से अधिक रफ्तार आने से आईएमएफ ने वर्ष 2020 में वैश्विक वृद्धि दर के अनुमान में संशोधन किया है। लेकिन दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में मांग बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘हमें यह भी देखना होगा कि त्योहारों में दिखी मांग आगे भी जारी रहती है या नहीं। इसके साथ ही कोविड-19 के टीके को लेकर बाजार का मिजाज भी दोबारा टटोलना होगा।’
दास का कहना है कि हाल के महीनों में आयात मद में व्यय कम हुआ है जिससे विपरीत परिस्थितियों से निपटने में अर्थव्यवस्था को पिछले कुछ महीनों में अधिक मदद मिली है। उन्होंने कहा कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) प्रवाह बढऩे और विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा होने से भी देश की अर्थव्यवस्था मौजूदा संकट से मजबूती के साथ निपट रही है।
दास ने कहा कि भारत ने अपने वित्तीय बाजारों के अंतरराष्ट्रीयकरण की दिशा में काफी प्रगति की है लेकिन स्थानीय वित्तीय परिसंपत्तियों का कारोबार विदेशी वित्तीय परिसंपत्तियों में करने की प्रक्रिया (पूंजी खाता परिवर्तनीयता) एकबारगी न होकर सतत रूप से चलेगी। दास ने कहा, ‘भारत की अर्थव्यवस्था पिछले तीन दशकों के दौरान बंद अर्थव्यवस्था की चिप्पी हटाकर खुली अर्थव्यवस्था बन गई है और पूरी दुनिया के बाजारों से जुड़ गई है। देश अब बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय लेनदेन और पूंजी प्रवाह से जुड़ गया है।’
