सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में बाजार के अनुमानों से बेहतर रहा है, जिससे विश्लेषकों ने चालू वित्त वर्ष में भारत के आर्थिक प्रदर्शन को लेकर अपने अनुमान बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। दूसरी तिमाही में जीडीपी में संकुचन 7.5 फीसदी रहा है, जबकि इस साल की पहली तिमाही में जीडीपी 23.9 फीसदी लुढ़का था।
अभी भी अर्थव्यवस्था पूरे वित्त वर्ष 2020-21 में गिरेगी, मगर यह गिरावट विशेषज्ञों के पहले के अनुमानों से थोड़ी कम रहने की संभावना है। अब क्वांटिको रिसर्च का अनुमान है कि पूरे वित्त वर्ष में जीडीपी 8.3 फीसदी गिरेगा, जबकि इसने पहले 9.5 फीसदी गिरावट का अनुमान जताया था।
इसकी संस्थापक शुभदा राव ने कहा कि आने वाले समय में उच्च बारंबारता संकेतक इस बात पर मुहर लगाएंगे कि क्या जीडीपी में दूसरी तिमाही में पिछली तिमाही के मुकाबले सुधार में दबी और नई मांग दोनों का मिलाजुला योगदान था। उनका मानना है कि आर्थिक क्षेत्रों को खोलने, अत्यधिक उदार घरेलू मौद्रिक एवं वित्तीय स्थितियों, सरकार की नीतिगत राहत, (प्रवासी कामगारों , एमएसएमई आदि के लिए) और आत्मनिर्भर भारत के तहत ढांचागत सुधारों (खाद्य, कृषि एवं विनिर्माण के क्षेत्र में) और सतत वैश्विक सुधार का उम्मीद से बेहतर असर दिख रहा है।
राव ने कहा, ‘इसलिए हमने वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी वृद्धि का अपना अनुमान बढ़ाया है। हालांकि हम मानते हैं कि कोविड संक्रमण में फिर से बढ़ोतरी से गिरावट के जोखिम हैं, लेकिन हम मानते हैं कि अगर कड़े उपायों की जरूरत पड़ी तो यह स्थानीय होगा।’ क्वांटिको का मानना है कि अगली कुछ तिमाहियों में लगातार सुधार आएगा। अगर टीका 2021 की शुरुआत में आता है तो सुधार की रफ्तार और तेज हो सकती है।
अबकेयर रेटिंग्स का अनुमान है कि अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 7.7 से 7.9 फीसदी सिकुड़ेगी। यह पहले 8.2 फीसदी गिरावट का अनुमान था। इसके मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि ऐसा दूसरी तिमाही में जीडीपी में सुधार अनुमानों से बेहतर रहने के कारण किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमारा अनुमान वित्त वर्ष 2021 की दूसरी तिमाही में विशेष रूप से विनिर्माण के अच्छे आंकड़ों को समायोजित करने के लिए सुधरा है।’ लगातार चार तिमाहियों में गिरावट के बाद विनिर्माण क्षेत्र का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 0.6 फीसदी बढ़ा है। सबनवीस ने कहा, ‘विनिर्माण में धनात्मक वृद्धि आश्चर्यजनक है। जीवीए का इस्तेमाल संगठित क्षेत्र के लिए किया जाता है, इसलिए अनुमानों में बढ़ोतरी की गई है।’
अब इक्रा का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी सात से नौ फीसदी के बीच घटेगा, जबकि पहले उसका अनुमान 11 फीसदी गिरावट का था। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि 2020-21 की दूसरी छमाही में जीडीपी में सुधार हमारे पहले के अनुमानों से अधिक तेज रहेगा।’ अब इक्रा ने जीडीपी के दायरे के विभिन्न अनुमान दिए हैं। उन्होंने कहा, ‘हम अपने अद्यतन अनुमानों को अंतिम रूप देने से पहले त्योहारी सीजन में सुधार के टिकाऊपन की पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं।’
इंडिया रेटिंग्स अपने जीडीपी के अनुमानों में संशोधन करेगी। इसके मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी के आंकड़े एजेंसी के अनुमानों से बेहतर थे। उन्होंने कहा, ‘हम स्थिति का जायजा लेंगे। हम यह मूल्यांकन करेंगे कि दूसरी छमाही में कैसी स्थिति रहेगी।’ इंडिया रेटिंग्स ने दूसरी तिमाही के आंकड़े जारी होने से पहले अनुमान जताया था कि पूरे वित्त वर्ष 2021 जीडीपी 11.8 फीसदी सिकुड़ेगी। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि उनका पहले का अनुमान चालू वित्त वर्ष में जीडीपी 10.9 फीसदी सिकुडऩे का था। उन्होंने कहा कि अब संकुचन केवल एक अंक में रह सकता है।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी के जोशी ने कहा, ‘हम कुछ दिनों में वित्त वर्ष 2021 के जीडीपी अनुमानों को संशोधित करेंगे।’ मोतीलाल ओसवाल रिसर्च एक दुर्लभ अपवाद है। अब इसका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी में संचुकन उसके पहले के अनुमान से भी अधिक रहेगा। अब इसका अनुमान है कि जीडीपी में गिरावट 7.5 फीसदी रहेगी, जबकि इसका पहले का अनुमान 6.5 फीसदी था।
मोतीलाल ओसवाल रिसर्च ने कहा, ‘हम तीसरी और चौथी तिमाही के जीडीपी पूर्वानुमानों को घटा रहे हैं। अब हमारा अनुमान है तीसरी तिमाही में गिरावट एक से दो फीसदी रहेगी, जबकि पहले नगण्य गिरावट का अनुमान था। वहीं चौथी तिमाही में वृद्धि दो से तीन फीसदी रहेगी, जबकि पहले हमारा अनुमान 4.2 फीसदी वृद्धि का था।’
