विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की महत्त्वाकांक्षी 6 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति मुद्रीकरण योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने और उसकी सफलता के लिए जोखिम कम करने के मानक और एक समान नियम जरूरी हैं। उनके मुताबिक सरकार को केंद्र व राज्यों की संपत्तियां इस मकसद के लिए रखने से पहले अनिवार्य रूप से एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करना चाहिए।
सरकार 6 लाख करोड़ रुपये के नैशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन (एनएमपी) पर काम कर रही है, जिसमें गैस पाइपलाइन और राजमार्गों जैसी संपत्तियां रखी जाएंगी, जिसमें निजी क्षेत्र हिस्सेदारी ले सके। केंद्र सरकार बड़े संपत्ति मुद्रीकरण पर जोर देने की योजना बना रही है, जहां निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी का अनुमान है। सरकार अपनी संपत्ति मुद्रीकरण पाइपलाइन की सही समय पर प्रगति की निगरानी करने और निवेशकों को इसकी जानकारी देने की व्यवस्था विकसित की है।
बहरहाल विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों के लिए कुछ सुरक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए, जिससे निवेशक सहज हो सकें क्योंकि इन संपत्तियों या परियोजनाओं में जोखिम है। क्रिसिल के निदेशक जगन्नारायण पद्मनाभन ने कहा कि संपत्ति मुद्रीकरण में बड़े निवेशकों को आकर्षित करने के लिए मानक परियोजना नियम आवश्यक होगा।
एनए शाह एसोसिएट्स के मैनेजिंग पार्टनर संदीप शाह ने कहा कि अगर एकसमान नियम लाया जाता है तब भी संपत्ति वर्ग की मैपिंग में एकरूपता जरूरी है, जिसका मालिकाना विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और राज्यों के पास है। शाह ने कहा कि उदाहरण के लिए देश भर में जमीन के टुकड़े के मुद्रीकरण के लिए एक समान तरीका अपनाया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित हो सकेगा कि नए खरीदार को जमीन विकसित करने में कोई चुनौती नहीं आएगी।
ईवाई इंडिया में मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार की जमीन के मूल्य का उचित आकलन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक समर्पित प्राधिकरण का भी गठन किया जा सकता है।