चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बिजली की मांग में 10 प्रतिशत वृद्धि का उल्लेख करते हुए केंद्रीय बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा कि वृद्धि की रफ्तार जारी रहेगी। सिंह ने कहा, ‘पिछले वित्त वर्ष के दौरान मांग 8 प्रतिशत बढ़ी थी और हम उम्मीद करते हैं कि यह आगे और बढ़ेगी। हमने देश में बिजली कनेक्टिविटी और बिजली आपूर्ति की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है।’
केंद्रीय मंत्री भारतीय जनता पार्टी सरकार के 9 साल के शासन के दौरान बिजली क्षेत्र की उपलब्धियों पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सिंह ने कहा, ‘ग्रामीण इलाकों में बिजली की आपूर्ति 2014 के 12.5 घंटे से बढ़कर अब 20.53 घंटे हो गई है, जबकि शहरी इलाकों में 23.78 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है। 185 गीगावॉट से ज्यादा उत्पादन क्षमता बढ़ाई गई है। इससे देश बिजली की कमी की स्थिति से निकलकर अतिरिक्त बिजली उत्पादन की स्थिति में पहुंच गया है।’
अपनी प्रस्तुति में केंद्रीय बिजली सचिव आलोक कुमार ने कहा कि भारत की बिजली उत्पादन क्षमता बढ़कर 416 गीगावॉट हो गई है, जिससे बिजली की कमी वित्त वर्ष 24 के दौरान घटकर 0.2 प्रतिशत रह गई है, जो वित्त वर्ष 24 में 4.2 प्रतिशत थी।
उन्होंने कहा कि 51 गीगावॉट ताप बिजली क्षमता और 120 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा पर विभिन्न चरणों में काम चल रहा है। सिंह ने कहा कि देश में ऊर्जा की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत ताप बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने से नहीं हिचकिचाएगा।
बिजली आपूर्ति में प्रगति के बारे में बात करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत ‘जनरल नेटवर्क एक्सेस’ तैयार करने की ओर बढ़ रहा है, जिसमें बिजली वितरण कंपनियां (डिस्कॉम) किसी भी उत्पादक से सबसे सस्ती दर पर उपलब्ध बिजली देश के किसी भी हिस्से से खरीद सकेंगी। इससे ग्राहकों को सस्ती दर पर बिजली मिल सकेगी।
कुमार ने कहा कि सकल तकनीकी और वाणिज्यिक (एटीऐंडसी) हानि वित्त वर्ष 22 में घटकर 16.44 प्रतिशत रह गया है, जो केंद्र के 15 प्रतिशत लक्ष्य के निकट है। मंत्री ने कहा कि सरकार जल्द ही ‘राइट आफ कंज्यूमर्स’ जारी करेगी, जिसमें डिस्कॉम द्वारा देश भर में दी जा रही विभिन्न सेवाओं की समयावधि और मानक तय किए जाएंगे और इसे पूरा न करने पर ग्राहकों को हर्जाना दिए जाने का प्रावधान होगा।