मौजूदा वैश्विक ऋण संकट का असर दुनिया में औद्योगिक धुएं का प्रदूषण रोकने की योजनाओं पर पड़ने लगा है।
एसोचैम के एक ताजा अध्ययन में कहा गया कि वित्तीय संकट के चलते अमीर देश ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए विकासशील देशों में लगने वाली परियोजनाओं पर खर्च रोकने लगे हैं।
एसोचैम ने कहा औद्योगिक देशों में वित्तीय संकट के चलते निवेश घटने लगा है जिससे उनको विकासशील देशों में ग्रीनहाउस गैस कम करने की परियोजनाओं से हाथ खींचने लगे हैं।
एसोचैम की रपट के अनुसार 2007 और 2008 में वैश्विक कार्बन ट्रेडिंग बाजार में क्रमश: 105 और 84 प्रतिशत की वृध्दि दर्ज की गई थी पर अब इस पर वैश्विक आर्थिक नरमी का दबाव बढ रहा है। विकसित देश विकासशील देशों में स्वच्छ प्रौद्योगिकी परियोजनाओं में मदद दे कर कार्बनिक गैसों के उत्सर्जन में कमी में योगदान का श्रेय लेते रहे हैं।
आर्थिक संकट के मौजूदा दौर में ऐसी परियोजनाओं के लिए धन मिलना मुश्किल होता जा रहा है। पर्यावरण पर क्योटो संधि के अनुसार विकसित देशों को 2008 से 2012 के बीच अपना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन 1990 के स्तर से 5.2 प्रतिशत नीचे लाना है।