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न भाए खाने में बाजार का तड़का

Last Updated- December 05, 2022 | 4:34 PM IST

स्कूली बच्चों को पका खाना ही मुहैया कराने के लिए यूपीए सरकार और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय पर दबाव अब और गहराता जा रहा है।


इस मसले पर ताजा मुहिम छेड़ी है नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने, जिन्होंने कोलकाता से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को इस बाबत संदेश भेजा है। अपने संदेश में उन्होंने प्रधानमंत्री से गुहार लगाई है कि दोपहर के भोजन (मिड डे मील) योजना के तहत स्कूली बच्चों को बिस्कुट और प्री-पैकेज्ड खाना मुहैया कराने का प्रस्ताव किसी भी सूरत में न माना जाए। साथ ही, उन्होंने पके खाने की बजाय पैकेट बंद खाना देने की योजना का भी विरोध किया है।


कोलकाता स्थित एक समूह की अध्यक्षता करते हुए सेन ने एक बैठक के बाद इस संदेश को तैयार किया है। समूह की इस बैठक का आयोजन सेन की संस्था प्रातिची ट्रस्ट और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से किया गया था। बैठक में विभिन्न क्षेत्रों के 40 लोग शामिल हुए,जिन्होंने महिला और बाल विकास मंत्रालय की इस पहल पर आश्चर्य और दुख जताया कि स्कूली बच्चों को प्री-पैकेज्ड खाना और बिस्कुट दिए जाने चाहिए। मंत्रालय ने यह प्रस्ताव रेणुका चौधरी की अध्यक्षता में तैयार किया है। आंगनवाड़ी के ठेकेदारों की मदद से लागू होने वाले इस प्रस्ताव की कई हलकों में आलोचना की जा रही है।


प्रधानमंत्री को भेजे संदेश को तैयार करने में शिक्षाशास्त्री अभिजीत सेन, एनएसी चेयरमैन ए.के. शिवकुमार, राष्ट्रीय उद्योग आयोग के चेयरमैन अर्जुन सेनगुप्ता जैसे जाने-माने लोग शामिल हैं। इस बात पर सब एक मत हैं कि फिलहाल जो खाना दिया जा रहा है, बच्चों के लिए वह प्रस्तावित खाने की तुलना में कहीं ज्यादा पोषक है। बैठक के भागीदारों ने सरकार की मिड डे मील योजना और उसके तहत किए कार्यों की भी काफी सराहना की। लेकिन दबावों, खासतौर पर बाजार के दबाव के चलते अगर इसमें कोई बदलाव किए गए तो इसके नतीजे इस योजना और बच्चों के लिए अच्छे नहीं होंगे।

First Published - March 16, 2008 | 10:52 PM IST

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