केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने बिजली सब्सिडी और उसके लेखांकन (accounting) को सुव्यवस्थित करने का प्रस्ताव किया है। मंत्रालय ने बिजली वितरण कंपनियों (Discom) को बिजली सब्सिडी दिए जाने और इसकी निगरानी को लेकर विस्तार से रिपोर्ट देने को कहा है।
बिजली नियम, 2005 के मसौदे में एक संशोधन के माध्यम से बिजली मंत्रालय ने राज्य बिजली नियामक आयोगों (SERC) द्वारा अपने क्षेत्राधिकार में आने वाली डिस्कॉम को बिजली सब्सिडी मुहैया कराने पर तिमाही रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
इसमें कहा गया है कि रिपोर्ट में सबंधित तिमाही के दौरान वितरण लाइसेंस की ओर से की गई सब्सिडी की मांग का ब्योरा सब्सिडी वाली श्रेणी और ग्राहक श्रेणी के मुताबिक दिया जाएगा, जिसकी सब्सिडी बारे में राज्य सरकार प्रति यूनिट सब्सिडी की घोषणा करती है। इसमें अधिनियम की धारा 65 के मुताबिक सब्सिडी के वास्तविक भुगतान और सब्सिडी का अंतर व इससे संबंधित अन्य ब्यौरे होंगे।
मसौदा नियमों में अधिनियम या नियमों के मुताबिक सब्सिडी के बिल का भुगतान न होने पर जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है।
इस मसौदे को बिजली आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) के सभी हिस्सेदारों के साथ साझा किया गया है, जिसमें सभी राज्य सरकारें और उससे संबंधित बिजली वितरण कंपनियां शामिल हैं। उनसे मसौदे पर प्रतिक्रिया मांगी गई है। इन नियमों से एसईआरसी की भूमिका बढ़ेगी, जबकि डिस्कॉम पर सख्ती होगी। देश की ज्यादातर डिस्कॉम राज्य सरकारों के अधीन आती हैं और वित्तीय व परिचालन के हिसाब से लचर हैं।
केंद्र सरकार ने बिजली विधेयक 2022 के माध्यम से कुछ सुधार सुझाए थे, लेकिन इसे अभी विधायी मंजूरी मिलनी बाकी है। इस विधेयक में डिस्कॉम की वित्तीय सेहत में सुधार के लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं। इसके साथ ही विधेयक में SERC को दीवानी न्यायालय का दर्जा और स्वतः संज्ञान में शुल्क आदेश जारी करने की शक्ति देकर उन्हें ताकतवर बनाया गया है।
मसौदा बिजली नियमों में डिस्कॉम को होने वाले नुकसान को संबंधित राज्य सरकार और केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय योजना या कार्यक्रम के मुताबिक होना चाहिए।
उल्लिखित नियम केंद्र सरकार की नई डिस्कॉम सुधार योजना RDSS के मुताबिक हैं। RDSS के तहत बिजली क्षेत्र की सभी योजनाओं को एक में मिला दिया गया है और डिस्कॉम को दिए जाने वाले धन को उनके वित्तीय और परिचालन हानि के लक्ष्यों और हासिल किए गए लक्ष्य से जोड़ दिया गया है।